
बोले- आतंकवाद किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं होगा
बेनाउलिम। गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भारत का आतंकवाद पर कड़ा रुख रहा। विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि उसके यहां भारत भेजे जा रहे आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसका भारत समय-समय पर जवाब भी देगा। जब जयशंकर आतंकवाद के खिलाफ बोल रहे थे उस वक्त पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ठीक उनके सामने बैठे थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी, चीन के किन गैंग और रूस के सर्गेई लावरोव की मौजूदगी में जयशंकर ने एससीओ मीटिंग में संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद से आंखें मूंद लेना समूह के सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक होगा।

जयशंकर ने कहा कि जब दुनिया कोविड-19 महामारी और इसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। उन्होंने चेतावनी दी कि आतंकवाद की अनदेखी करना हमारे सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदेह होगा। विदेश मंत्री ने बताया कि एससीओ की हमारी अध्यक्षता के तहत, हमने 100 से अधिक बैठक और कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किये जिनमें 15 मंत्री स्तरीय बैठकें शामिल हैं। जयशंकर ने कहा कि स्ष्टह्र के मॉडर्नाइजेशन को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है। उन्होंने सदस्य देशों का सहयोग मांगा ताकि अंग्रेजी को स्ष्टह्र की तीसरी आधिकारिक भाषा घोषित किया जा सके। भारत लंबे वक्त से इसकी मांग कर रहा है।
भारत में होना है एससीओ समिट
- 2001 में स्थापित शंघाई सहयोग संगठन के फिलहाल 8 सदस्य हैं
- भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान के अलावा मध्य एशिया के 5 में से 4 देश इसमें शामिल हैं
- 2023 में एससीओ देशों के राष्ट्राध्यक्षों का समिट भारत में
- उससे पहले 4-5 मई को गोवा में विदेश मंत्रियों का सम्मेलन हो रहा है।
- अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निबटने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए थे। इसे शंघाई फाइव कहा गया था।
- जून 2001 में शंघाई फाइव के साथ उज्बेकिस्तान के आने के बाद इस समूह को शंघाई सहयोग संगठन कहा गया।
- 2005 में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधि इसमें पहली बार शामिल हुए।
- 2017 में भारत-पाकिस्तान स्थायी सदस्य बने
आतंकवाद पर भारत की दो टूक

विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों को बिना किसी भेदभाव के साथ रोका जाना चाहिए। जब दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके परिणामों का सामना करने में लगी हुई थी तो आतंकवाद अपने पैर पसार रहा था। उन्होंने कहा, हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता है और इसे सीमा पार आतंकवाद सहित इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में रोका जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करना एससीओ के मूल जनादेशों में से एक है।
इस दौरान बैठक में चीनी विदेश मंत्री किन गैंग और पाकिस्तान के बिलावल भुट्टो-जरदारी के अलावा अन्य देशों के विदेश मंत्री मौजूद रहे। एस जयशंकर ने कहा कि एससीओ की पहली भारतीय अध्यक्षता में आपकी मेजबानी करते हुए मुझे खुशी हो रही है। साथ ही एससीओ की अध्यक्षता में हमने 100 से अधिक बैठकों और कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक समापन किया, जिनमें 15 मंत्रिस्तरीय बैठकें शामिल हैं।
अफगानिस्तान की मदद कराना भारत की प्राथमिकता-विदेश मंत्री
जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में हमारी तत्काल प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता प्रदान करना है। साथ ही आतंकवाद से मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण करना शामिल है।
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