
दैनिक जलतेदीप के संस्थापक संपादक स्व.माणक मेहता की 49 वीं पुण्य तिथि पर संगोष्ठी आयोजित
जोधपुर। दैनिक जलते दीप के संस्थापक संपादक स्व. श्री माणक मेहता की 49 वीं पुण्य तिथि पर मंगलवार को दैनिक जलतेदीप सभागार में आयोजित ‘पत्रकारिता, लोकतंत्र और सामाजिक दायित्व’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रारंभ में जलते दीप के प्रधान संपादक पदम मेहता ने स्वागत उद्बोधन तथा विषय प्रवर्तन किया। मेहता ने कहा कि स्वर्गीय माणक मेहता के आदर्शों और उनके बताए मार्ग पर चलने को जलतेदीप संकल्पबद्ध है। उनकी स्मृति में लगातार 48 वर्षों से संगोष्ठी आयोजित हो रही है। उनकी सातवीं पुण्यतिथि पर 1981 से माणक अलंकरण की शुरूआत की गई थी, जो अनवरत जारी है। पदम मेहता ने बताया कि 1978 में माणक पत्रिका के प्रकाशन को लेकर राजस्थान पत्रिका के संस्थापक संपादक कर्पूरचंद जी कुलिश के सानिध्य में माणक का प्रारूप तैयार किया गया था। स्व. अग्रज माणक सा की स्मृति में जनवरी 1981 में राजस्थानी मासिक माणक का प्रकाशन शुरू हुआ। मेहता ने समाचार पत्रों के सामने आने वाली चुनौतियों और समस्याओं पर चर्चा करते हुए पत्रकारिता, लोकतंत्र और सामाजिक दायित्व पर अपनी बात रखी।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए पत्रकारिता बहुत जरूरी है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता पर चर्चा करते हुए कहा कि तुरंत सूचना देने वाला इनफोर्मर है, लेकिन असली पत्रकारिता प्रिंट मीडिया के माध्यम से होती है। पत्रकार समाज में फैली गलत चीजों की सफाई करने का काम करता है। व्यास ने कहा कि पत्रकार शब्दों में बांधकर जो लिखता है वह बड़ा मारक होता है। इस मौके पर व्यास ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर भी विचार व्यक्त किए। व्यास ने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र का सच्चा और सजग प्रहरी है। उन्होंने अफसरशाही पर चर्चा करते हुए कहा कि अफसरशाही को दर्द नहीं होता है। जिस फाइल पर कुछ मिलने की आशा होती है, वह फाइल तुरंत ओके हो जाती है, ऐसे में पत्रकारों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बोड़ा ने कहा कि अभाव में अखबार निकालना बहुत ही हिम्मत का काम होता है। लोकतंत्र में पत्रकारिता की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। लोकतंत्र में लोक की चलनी चाहिए, लेकिन लोक आज बहुत बिखरा हुआ है। ऐसे में पत्रकारों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। पत्रकार लोक की बात करता है तो दायित्व भी आ जाता है। बोड़ा ने कहा कि समय के साथ पत्रकारिता में तकनीक बदलती रहती है। ऐसेे में पत्रकारों और अखबारों को भी तकनीक में बदलाव करते हुए समय के साथ चलना चाहिए। बोड़ा ने कहा कि आज के युग में बिना विज्ञापन के अखबार निकालना असंभव है। लेकिन अखबारों में भी सरकार सबसे बड़ी विज्ञापनदाता है। ऐसे में लोक और सरकार के बीच संतुलन बनाकर अखबार छापना भी बड़ी चुनौती है।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर कल्याणसिंह शेखावत ने कहा कि माणकजी के साथ उन्हें काम करने का सौभाग्य मिला। उन्होंने जोश, लगन और निष्ठा के साथ मातृभाषा के प्रति संकल्पबद्धता के साथ काम किया। शेखावत ने कहा कि आज लोकतंत्र के अनुकूल पत्रकारिता खड़ी नहीं हो पाई है। लेकिन जलतेदीप आज भी पत्रकारिता के दायित्व को बखूबी निभा रहा है, मातृभाषा के उत्थान को लेकर भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि माणक का प्रकाशन राजस्थान और राजस्थानी की पहचान बन चुका है। प्रदेश, देश ही नहीं विश्व के अनेक देशों में, जहां राजस्थानी निवास करते हैं वहां जलतेदीप और माणक को लोग जानते हैं।
मुख्य अतिथि जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.एल.श्रीवास्तव ने कहा कि माणकजी ने मारवाड़, मारवाड़ी, राजस्थानी पत्रकारिता का जो दीप जलाया वह आज चारों दिशाओं को रोशन कर रहा है। उन्होंने राजस्थानी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र का तीन काल रहा है। पहला नेहरू, दूसरा इंदिरा और तीसरा वर्तमान में जो चल रहा है अमृतकाल। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बढ़ रहा भ्रष्टाचार देश हित में नहीं है। भ्रष्टाचार का एक दिन अंत होना तय है और इसकी शुरूआत नोटा के रूप में हो चुकी है। ऐसे में मीडिया को भ्रष्टाचार की चुनौती को स्वीकार करते हुए इसे मिटाने के लिए आगे आना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि कमला नेहरू गल्र्स कॉलेज की डायरेक्टर प्रो.संगीता लूंकड़ ने कहा कि पत्रकारिता से समाज का उत्थान होता है, ऐसे में नकारात्मक की जगह सकारात्मक पत्रकारिता पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलन किया तथा स्व. माणक मेहता की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। विजय मेहता, डॉ रेखा भंसाली, आशीष मेहता आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। जलतेदीप के समाचार संपादक गुरुदत अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।