अहिंसा, सदाचार, सत्य के पथ पर चलकर हम अपनी दिशा और दशा दोनों को सुधारें

प्रतापगढ़। अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में प्रवचन शृंखला के तहत गुरुवार को आचार्य सुनील सागरजी ने कहा कि सिर्फ हमारे सही होने से सामने वाला गलत नहीं हो सकता।

हम सही हो सकते हैं, लेकिन सिर्फ हमारे सही होने से सामनेवाला गलत नहीं हो सकता। संसार में अगर झगड़ा मिटाना है, शांति को अपनाना है तो जैसे हम सही हैं वैसे ही सामने वाला उसकी जगह सही होता है। इसी सोच से हम जीवन जिये तो जन्म लेना सार्थक है। स्वयं को ही सही समझने वाले भव पार होंगे।

कवायातीत हो यह हो ही नहीं सकता। जिसके ऊपर क्रोध, मान, माया व लोभ का भूत जिसके ऊपर सवार है वह जीव इस अव में और पर भव में कुछ ही प्राप्त करता है। जो जीव मद, माया, क्रोध इनसे रहित हो और लोभ में विशेषरूप से रहित हो वह जीव निर्मल विशुद्ध स्वभावयुक्त होकर उत्तम मुख को प्राप्त करता है। जो जीव माया-मान-लालच क्रोध को तज शुद्ध हो। निर्मल स्वभाव धरे वही नर परमसुख को प्राप्त हो।

जिन जीवों की ऐसी प्रवृत्ति है उनकी जो प्रावक वैयावृत्ती करता है वह अमूल्य गुप्त धन को प्राप्त करता है। यह धन उसे भव भव प्राप्त होता रहेगा। इस धन से वह जीव रत्नत्रय मगर के प्राप्त होउर संसार सागर पार हो जाएंगे।

भोगियों के साथ रहने से भव प्राप्त होंगे और योगियों के साथ रहने से योगों का सही उपयोग होगा अहिंसा, सदाचार, सत्य के पथ पर चलकर हम अपनी दिशा और दशा दोनों को सुधारें। अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में प्रवचन शृंखला का लाभ लेने बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हो रहे हैं।

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