त्यौहारों पर हो जाए सावधान, सोख्ता कागज और आलू मिलाकर बन रहा मावा

नवरात्र, दशहरा, दीपावली नजदीक आते ही मिलावटखोर अभी से बड़े पैमाने पर मिलावटी मावा बाजार में उतारने की तैयारी में जुट गए हैं। ठोस कार्रवाई नहीं होने की वजह से यह धंधा झांसी में तेजी से फल-फूल रहा है। लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ जारी है। सामान्य दिनों में रोज लगभग 15 क्विंटल बिक्री होती है।

त्योहार के सीजन में इसकी मांग में काफी इजाफा हो जाता है। चूंकि, जिले में वैसे भी मांग के अनुसार दूध की आपूर्ति कम है, ऐसे में त्योहारी सीजन में मावा बनाने में पाउडर के दूध के साथ तमाम तरह की मिलावट की जाती है। दूध से बनाए जाने वाले मावा में आलू या फिर सोख्ता कागज मिलाकर उसे जलाया जाता है। यही नहीं, मिलावटी मावा सूखे दूध यानी पाउडर से भी बनता है। पाउडर में रिफाइंड या डालडा मिलाकर तैयार करते हैं, फिर मिलावटी खोया बाजार में बेचने के लिए सप्लाई किया जाता है।

दाम में सौ रुपये तक का अंतर

दूध से बनने वाला खोआ 230-240 रुपये किलो मिलता है, जबकि, दूध के पाउडर समेत कई मिलावटी पदार्थ मिलाकर बनाया जाने वाला खोआ 130-140 रुपये किलो बिकता है। सस्ते के चक्कर में लोग मिलावटी मावा खरीद भी लेते हैं।

ऐसे करें नकली खोआ की पहचान

मावा या खोया को अपने अंगूठे के नाखूनों पर रगड़ें। असली होने पर इसमें से घी की खुशबू आएगी।

असली मावा खाने पर मुंह में नहीं चिपकता है जबकि नकली मावा मुंह में चिपक जाता है।
मावा की गोली बनाने पर अगर गोली फट जाती है तो वह नकली है।
थोड़े से मावा को गर्मपानी में घोल लें, ठंडा होने के बाद आयोडीन साल्यूशन डालें। नकली होने पर मावा का रंग नीला हो जाएगा।

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