खाद्य पदार्थों और तेल की बढ़ती कीमतों के विरोध में ज्ञापन दिया

भरतपुर। भारतीय मजदूर संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा। जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी से बेरोजगारी बढ़ी है। वेतन में कटौती होने के साथ ही खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेहताशा वृद्धि हुई है। महंगाई दर भी 6 प्रतिशत की सीमा को पार कर चुकी है इसलिए तेल, तिलहन, आलू और प्याज और डीजल-पेट्रोल के दाम कमी की जानी चाहिए, जिससे आम जनता को राहत मिल सके।

प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में मांग की गई है कि उत्पादनकर्ता द्वारा प्रत्येक वस्तु की लागत मूल्य की घोषणा को अनिवार्य करने का कानून बनाया जाए, आवश्यक वस्तुओं और पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि पर प्रभावी नियन्त्रण किया जाए, पेट्रोलियम पदार्थों की प्रतिदिन की कीमत निर्धारण की पद्धति को समाप्त कर जीएसटी के दायरे में लाया जाए।

धातुओं एवं अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी का झूठा बहाना कर कम्पनियों और कुछ व्यक्तियों द्वारा अनुचित लाभ कमाया जा रहा है, ऐसे मामलों में दोषी कम्पनियों और व्यक्तियों को आवश्यक वस्तु अधिनियमों के अन्तर्गत दण्डित किया जाए, खाद्य तेलों, दालों एवं अन्य खाद्य पदार्थों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दीर्घकालीन योजना बनाई जाए, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के श्रमिकों तथा कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी कर महंगाई की क्षतिपूर्ति की जाए और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 (1) के अन्तर्गत दी गई छूट को अविलम्ब समाप्त की जाए। इस दौरान जिलामंत्री वेदपाल सोलंकी, संगठन मंत्री प्रहलाद गौतम, विशन सिंह गुर्जर, और धीरेंद्र प्रताप सिंह मौजूद रहे।

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