राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुये शूरवीरों के स्मारक बनते हैं : महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन

  • वर्तमान परिपेक्ष में सीमा सुरक्षा और महाराजा दाहरसेन’ आनलाइन गोष्ठी सम्पन्न
  • 25 अगस्त को देश मनायेगा महाराजा दाहरसेन की 1352वां जयंती

सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन विकास एवं समारोह समिति द्वारा राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुये सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन की 1352वीं जयंती के अवसर पर ऑनलाइन संगोष्ठी ‘वर्तमान परिपेक्ष में सीमा सुरक्षा और महाराजा दाहरसेन’ विषय पर आयोजित की गई। संगोष्ठी में आर्शीवचन महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन, हरीशेवा धाम, भीलवाडा व अध्यक्षता ओंकारसिंह लखावत, पूर्व सांसद एवं वक्ता भारतीय इतिहास संकलन समिति छतीसगढ के संगठन मंत्री मुरारीलाल नत्थानी व जोधपुर रघुवीर सिंह सोढा, मानवाधिकार व समिति के कवंल प्रकाश किशनानी ने की। संचालन महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया। बुधवार 25 अगस्त को जयंती अवसर पर सुबह 9 बजे स्मारक पर कार्यक्रम होगा।

ऑनलाइन सगोष्ठी में हरीशेवा धाम भीलवाडा के महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने कहा कि आज के परिपेक्ष में सीमाओं पर पडौसी देश हमारी सीमाओं पर गलत निगाहें रखता है परन्तु हमारी तीनो सेनाओं के सैनिक डटकर रक्षा करने के लिये तैयार खडे हैं। आज से 1300 वर्ष पूर्व भी महाराजा दाहरसेन ने भी इन सीमाओं की रक्षा के लिये विदेश आक्रमारियों को 6 बार पराजित किया। महामण्डलेश्वर जी ने कहा कि स्मारक उनके बनते है जिन्होने अपने लिए न बल्कि समाज के लिए जीवन त्याग किया है। आज पूरा विश्व महाराजा दाहरसेन स्मारक देखने के लिए आ रहे है। आज इतिहास में जो पढाया जा रहा है उसमें संशोधन की आवश्यकता हे। देश दुनिया से आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को स्मारक के दर्शन व हिंगलाज माता के साथ जगद्गुरू श्रीचन्द्र भगवन की धूणी के दर्शन कराने चाहिये। ऐसे दर्शन से ही अंश व वशं खत्म नहीं होगा।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये पूर्व सांसद ओंकार ंिसह जी लखावत ने कहा कि दाहरसेन को समझने वाला सदैव विदेश व रक्षा नीति को समझ लेगा और महाराजा दाहरसेन का जीवन एक ध्रुवतारा की तरह है जो सदेैव प्रेरणा देता रहेगा। महाराजा दाहरसेन को बप्पा रावल ने साथ दिया और 300 वर्ष तक लगातार सीमाओं की रक्षा की गई। बप्पा रावल सहित सभी महापुरूषों के स्मारक बनाये गये हैं जहां सभी नतमस्तक होकर देश भक्ति की भावना जागृत होती है। राष्ट्रीयता खडी होती है और यह देश में वीर भूमि की ताकत है और यह संतो महात्माओं का आर्शीवाद है कि हमारी बहुत सुखदायक समय है।

भारतीय इतिहास संकलन समिति छतीसगढ के संगठन मंत्री मुरारीलाल नत्थानी ने वक्ता के रूप में विचार प्रकट करते हुये कहा कि आज महाराजा दाहरसेन का जीवन परिचय को इतिहास में पढाया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि इतिहास का युवाओं को जानकारी होनी चाहिए कि महाराजा दाहरसेन न्यायप्रिय, निष्पक्ष, निर्भीक व कटिबद्व है। इतिहास में कहीं भी ऐसा जिक्र नहीं है कि उन्होने कभी किसी देश पर हमला किया है। आज के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि महाराजा दाहरसेन हिन्द के साथ सिन्ध में नेशनल हीरो है और सभी साहित्याकारों ने महाराजा दाहरसेन के पूरे साम्राज्य में हुये विदेशी हमलों को सदैव परास्त किया ओर ऐसे अवसरों पर हमें गौरवशाली व समृद्धशाली इतिहास को जानना चाहिये।

भारती सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि सभा की ओर से जयंती के अवसर पर देशभर में देशभक्ति के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। समिति के कवंलप्रकाश किशनानी ने सभी का आभार प्रकट करते हुये कहा कि ऐसे महापुरूषों को पाठ्यक्रमों में पढाना व नई पीढी को सीरियल व फिल्में बनाकर प्रदर्शित करनी चाहिये।

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