आदिवासी-गैर आदिवासी की खाई को पाटने की जरूरत : राज्यपाल

वागड़ अंचल का लोक साहित्य एवं संस्कृति विषयक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि आदिवासी और गैर आदिवासी के बीच पनपी भेद की खाई को मिलकर पाटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आदिवासी समाज को उनकी भाषा, संस्कृति, परम्पराओं और विशिष्टताओं को बचाए रखते हुए विकास की मुख्य धारा में जोडऩा होगा।

राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को यहां राजभवन में मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा आयोजित वागड़ अंचल का लोक साहित्य एवं संस्कृति विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं विश्वविद्यालय परिसर के 6 भवनों के शिलान्यास समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान है, जिसे सहेजा जाना बहुत जरूरी है।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि वागड अंचल का जनजाति क्षेत्र औषधीय, वनस्पति और जैविक संपदा के लिए देशभर में अपनी पहचान रखता है। यहां की प्रकृति पूजा और औषधि विज्ञान की जनजातीय समाज की मौखिक रूप में संरक्षित परम्पराओं को सहजने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा पाठ्यक्रम लागू करने की पहल सराहनीय है।

राज्यपाल मिश्र ने सुझाव दिया कि आदिवासी क्षेत्र के युवाओं के माध्यम से इस समुदाय के रीति-रिवाज, उत्सव, परम्पराओं, लोककथाओं और लोकगीतों सहित उपलब्ध ज्ञान को एकत्रित कर इसका डिजिटलाईजेशन किया जाना चाहिए ताकि भावी पीढ़़ी भी इससे रूबरू हो सके।

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