केरल: मुख्य सचिव डॉ. विश्वास मेहता को अनोखा उपहार, आकर्षक डाक टिकट जारी

डॉ.विश्वास मेहता, dr vishvas mehta
डॉ.विश्वास मेहता, dr vishvas mehta

नई दिल्ली। केरल के नये मुख्य सचिव डॉ. विश्वास मेहता उस वक्त विस्मयकारी आनन्द और रोमांच से भर उठे जब उन्हें केरल के मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल ने एक अनोखा उपहार भेंट किया। यह उपहार था केरल में पैदा होने वाले कुरिंजी के दुर्लभ फूल पर डाक विभाग द्वारा जारी आकर्षक डाक टिकट और उसके साथ डॉ विश्वास मेहता के फोटो का सेट, जो कि पोस्ट मास्टर जनरल ने उन्हें व्यक्तिगत उपहार स्वरूप दिया।

डॉ. विश्वास मेहता दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर संभाग के डूंगरपुर नगर के मूल निवासी हैं

उल्लेखनीय है कि डॉ. विश्वास मेहता दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर संभाग के डूंगरपुर नगर के मूल निवासी हैं। पाँच रुपए के इस डाक टिकट में दक्षिणी भारत में पाये जाने वाले बेंगनी नीले रंग के मनमोहक दुर्लभ फूल कुरिंजी का चित्र है । कुरिंजी ‘स्ट्रोबिलैंथस समूह’ की उप प्रजाति ‘अकेथैसिया’ परिवार का ऊँचा झाड़ीनुमा पौधा है। यह दक्षिणी भारत के पश्चिमी घाट क्षेत्र के शोला जंगलों में पाया जाता है।

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तमिलनाडु के ऊटी तथा केरल के वायनाड जिले के आसपास स्थित नीलगिरी पहाडिय़ों का नाम कुरिंजी के बैगनी नीले फूलों पर ही आधारित है। कुरिंजी के ये मोहक फूल 12 वर्ष की लम्बी अवधि के दौरान मात्र एक बार खिलते हैं। ये फूल केवल भारत में ही पाये जाते हैं।

घंटी के आकार वाले ये चटक नीले फूल पश्चिमी घाट की ढलानों पर छह से सात हज़ार फीट की ऊँचाई पर पाए जाते है। इस फूल की प्रजाति कुथियाना का नाम कुथी नदी के नाम से उद्धत है, जो कि केरल के प्रसिद्ध एवं विशाल सायलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान के बीचों बीच बहती है।

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‘गोड्स ओन कंट्री’ यानि ‘भगवान का अपना देश’ केरल जुलाई माह से पूर्व प्राय: अपने सैलानियों के स्वागत में व्यस्त रहता आया है। इसकी सबसे बड़ी वजह ‘नीलकुरिंजी के फूल’ है जो दक्षिण भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल मुन्नार की पहाडिय़ों को जामुनी करने के लिए इस महीने के अंत से खिलना शुरू होते हैं ।

ये जामुनी रंग के फूल 12 साल में सिर्फ एक बार खिलते हैं, अत: इन्हें देखने के लिए न सिर्फ देश बल्कि विश्व भर से सैलानी केरल आते हैं। जुलाई के अंत से लेकर अ टूबर तक ये मुन्नार की पहाडिय़ों की खूबसूरती पर चार चांद लगाने का काम करते हैं ।

केरल स्थित मुन्नार देश में नीलकुरिंजी पौधों का सबसे बड़ा घर माना जाता हैए लगभग 3000 हेक्टेयर में घुमावदार पहाडिय़ों के साथ स्थित मुन्नार दक्षिण भारत के सबसे खास पर्यटन गंतव्य स्थलों में से एक है और इन्हीं पहाडिय़ों पर खिलते हैं जामुनी रंग के ये ‘नीलकुरिंजी फूल’ वनस्पति विशेषज्ञों के अनुसार यह फूल एक बार खिलने के बाद सूखने लगते हैं, जिसके बाद ये अपने बीज उसी स्थान पर गिरा देते हैं।

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पौधों की अगली खेप आने में 12 साल का वक्त लग जाता है। ये पौधें लगभग 60 सेमी की ऊंचाई तक बढ़ते हैं। हरी-भरी पहाडिय़ों के साथ इन जामुनी फूलों को देखना काफी सुखद अनुभव होता है। नीलाकुरीनजी एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले उष्णकटिबंधीय पौधों की प्रजाति है। पूरी दुनिया में इनकी लगभग 450 प्रजातियां हैं, जिनमें से 146 भारत और उनमें से 43 केरल में पाई जाती हैं।