प्रवासी राजस्थानी: डॉक्टर दीपा खंडेलवाल वत्स सक्रिय रूप से कोविड रोगियों के प्रबंधन में शामिल

कोरोनाकाल में दुनिया को राजस्थान की बेटी का संदेश – टीका लगाओ, जीवन बचाओ

राजेन्द्र सिंह गहलोत

प्रवासी राजस्थानियों की बात करें तो राजस्थान के बेटे तो किसी से कम हैं ही नहीं, लेकिन बेटियां भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। राजस्थान की बेटियां भी अपनी शिक्षा, अपनी बुद्धिमता, अपनी योग्यता का लोहा पूरी दुनिया में मनवा चुकी है। आज मेडिकल क्षेत्र की राजस्थान की ऐसी ही बेटी की बात करेंगे, जिसका जन्म राजस्थान के कोटा जिले में हुआ और उनकी प्रारंभिक शिक्षा जयपुर में हुई और आज वह एम.बी.बी.एस. करने के बाद कान, नाक एवं गला विशेषज्ञ के रूप में (यूरोपियन बोर्ड इन ऑटोलेरिन्गोलोजी)(मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन) दुबई में कार्यरत है। डॉक्टर दीपा खंडेलवाल वत्स सक्रिय रूप से कोविड रोगियों के प्रबंधन में शामिल है और वह भारत में कोविड की रोकथाम और उपचार के बारे में सलाह दे रही हैं, साथ ही आज जबकि पूरी दुनिया में और विशेष रूप से भारत में डॉक्टर दीपा सभी को कोविड से लड़ने के लिए टीकाकरण के लिये प्रोत्साहित कर रही है।

माता-पिता ने शिक्षा को सर्वोपरि माना

मेरे पिता लक्ष्मणदास खंडेलवाल राजस्थान विद्युत निगम में अधिशाषी अभियंता के पद पर कार्यरत थे और माता श्रीमती लक्ष्मी खंडेलवाल कुशल गृहिणी। शुरू से ही मेरे माता-पिता ने शिक्षा को सर्वोपरि माना और बेटों और बेटियों में कोई भेद न करते हुए ऊंची से ऊंची शिक्षा दिलाने की पूरी कोशिश की, जिसका परिणाम यह रहा कि मेरे दोनो भाई इंजीनियर हैं और मैं डॉक्टर के रूप में मानवता की सेवा कर रही हूं।

जयपुर से शुरू हुआ शिक्षा का सफर

मैंने कक्षा 10 में मैरिट लिस्ट में अपनी जगह बनाई, फिर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर से एम.बी.बी.एस. करने के बाद जे.एल.एन. मेडिकल कॉलेज से सन् 2006 में एम.एस.(मास्टर ऑफ सर्जरी) ई.एन.टी.(कान, नाक, गला रोग विशेषज्ञ) किया। उसके बाद दिल्ली में दिल्ली ई.एन.टी. हॉस्पिटल तथा महावीर ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में काम किया। फिर यू.ए.ई. शिफ्ट हो गई तथा वहाँ सभी बडे मिनिस्ट्री के हॉस्पिटल्स तथा मेडिकल कॉलेजों में काम किया। एल कासिमी हॉस्पिटल, शारजाह, दुबई एवं राशिद हॉस्पिटल में काम किया। उसके बाद वियना (ऑस्ट्रिया) जाकर यूरोपियन बोर्ड ऑफ ऑटोलेरिन्गोलोजी की डिग्री ली। अमेरिका से क्लीवलेन्ड से ‘बच्चों की नींद की बीमारियों’ पर फेलोशिप की, उसके बाद वापस दुबई आकर एल जलीला चिल्ड्रन हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं शुरू की। विभिन्न इंटरनेशनल तथा नेशनल जर्नल में शोधपत्र लिखे।

काफी संस्थाओं से जुड़ी है दीपा

चिकित्सा सेवाओं के साथ मैं विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी हूं, व विद्या ज्योति फाउंडेशन (यू.के.) तथा श्रेष्ठ भारत (इंडिया) के माध्यम से भारत में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शिक्षा में मदद करती हूं, अपनी दोनो बेटियों के साथ उन बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाती भी हूं। पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ी हूं और यू.ए.ई. के ग्रीन प्लान्टेशन ड्राइव में भी मेरा योगदान है, मैं टोस्टमास्टर इंटरनेशनल (यू.एस.ए.) की मेम्बर भी हूं। मेेरे पति डॉक्टर मयंक वत्स भी दुबई के राशिद हॉस्पिटल में श्वास रोग विशेषज्ञ हैं, मुझे उनका पूर्ण सहयोग एक मित्र की तरह रहता है। डॉक्टर दीपा खंडेलवाल वत्स से बात करने पर डॉक्टर के रूप में मानवता की सेवा कर रही राजस्थान की बेटी डॉक्टर दीपा की यह बात बहुत सटीक लगी कि आज जो वायरस के रूप में कुदरत का कहर बरपा उसने पूरी दुनिया को उनकी हैसियत दिखा दी कि कुदरत के आगे उनकी हैसियत कुछ भी नहीं है, हमें कुदरत के साथ तालमेल बनाकर चलना ही होगा तभी जीवन बचेगा। उन्होंने संदेश दिया कि ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण होगा तभी हम इस लड़ाई में जीत पाएंगे।

अवॉर्ड

  • के.आर.लोढ़ा अवॉर्ड (गोल्ड मेडल)- वर्ष 2006
  • मेडिकल एक्सीलेन्सी अवॉर्ड इन रिसर्च – वर्ष 2016
  • ग्रीन प्लान्टेशन अवॉर्ड – वर्ष 2019
  • बेस्ट स्पीकर अवॉर्ड (टोस्टमास्टर इंटरनेशनल)- वर्ष 2020

कोविड रोकथाम के लिये डॉक्टर दीपा की सलाह

  • मास्क लगायें, भीड़ से दूरी, टीका लगवायें, बात करते समय मास्क नीचे न करें
  • सर्दी, खांसी, गला खराब, थकावट, कमजोरी जैसे लक्षण होने पर सबसे पहले आइसोलेटेड हो जायें। उपरोक्त लक्षण होने पर उसे कोविड ही मानें, रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा न करें तथा अपना इलाज शुरू करवायें।
  • प्रारंभिक अवस्था में ही किसी चिकित्सक से फोन पर सलाह लें।
  • सभी को ब्लड टेस्ट, सी टी चेस्ट की आवश्यकता नहीं होती है, खासकर जब कोई लक्षण न हों। पल्स 100 बीट्स प्रति मिनट से ज्यादा न हो, तापमान 100 फोरेनहाइट से ज्यादा न हो।
  • एस पी ओ 2 देखते रहें, 94 से कम हो रहा हो तो चिकित्सक से बात करें ।
  • कोविड से संबंधित दवाईयां चिकित्सक को तय करने दें।
  • कोविड हो जाने पर इससे संबंधित खबरों से दूर रहें। आराम, ध्यान, संगीत, किताब पढऩा आदि कार्य करें, संतुलित भोजन लें और हाइड्रेशन का ध्यान रखें।
  • केवल 10 प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती है।
  • होम आइसोलेशन में घर के अन्य सदस्यों से दूरी रखें, अलग हवादार कमरे में रहें, अलग शौचालय तथा बाथरूम काम में लें, हमेशा ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क पहनें, हाथों को साबुन से 40 सैकिण्ड तक अच्छी तरह धोयें।
  • बुखार, ऑक्सीजन स्तर एस पी ओ 2 तथा पल्स का चार्ट बनाकर रखें। हर 4 से 5 घंटे में नापें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी, जूस, सूप तथा तरल पदार्थ पियें।
  • अन्य रोग (शुगर, ब्लड प्रेशर) का इलाज जारी रखें।