
ऑनलाइन क्लासेज को लेकर विरोधी सुर उठ रहे हैं। बच्चों पर ऑनलाइन क्लासेज से पढऩे वाले दुष्प्रभाव कम नहीं हैं।
ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों पर पड़ रहे दुष्प्रभाव से चिंतित अभिभावक सरकार से कर रहे हैं प्रतिबंध की मांग
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते देश में जारी लॉकडाउन के बीच स्कूलों द्वारा बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था कर रहे हैं। टीचर्स बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं। लेकिन, ऐसे में बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज को लेकर विरोधी सुर उठ रहे हैं। बच्चों पर ऑनलाइन क्लासेज से पढऩे वाले दुष्प्रभाव भी कम नहीं हैं। लगातार कम्यूटर या मोबाइल, लैपटॉप के सामने बैठने से बच्चों पर मानसिक ओर स्वास्थ्य दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। इसके चलते देश में कर्नाटक राज्य सरकार ने कदम उठाते हुए राज्य में पांचवी क्लास तक के बच्चों की ऑनलाइन क्लास को प्रतिबंधित कर दिया है। इससे पहले, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (एनआईएमएचएएनएस) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इस तरह की ऑनलाइन कक्षाएं छह साल से कम उम्र के छात्रों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इससे बच्चों की आंखों पर और मानसिक स्थिति पर दुष्प्रभाव पड़ता है। बच्चों के शारीरिक विकास पर भी इसका असर पड़ता है।
कर्नाटक सरकार ने पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए राज्य भर के स्कूलों द्वारा संचालित लाइव ऑनलाइन कक्षाओं को रोकने का फैसला किया है। हालांकि, लाइव ऑनलाइन कक्षाओं को पांचवी क्लास से उपर की कक्षाओं के लिए जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने यह जानकारी दी है। गौरतलब है कि पूरे देश में लॉकडाउन के चलते स्कूल प्रशासन द्वारा ऑनलाइन क्लासेज चलाई जा रही हैं। ऐसे में बच्चों को चार से पांच घंटे कम्प्यूटर के सामने बैठकर क्लासेज अटेंड करनी पड़ती है जिसके चलते बच्चों की सेहत पर कई विपरित असर देखने को मिल रहे हैं।
जयपुर में भी उठे विरोध के सुर
जयपुर की कई दंपत्ति से ऑनलाइन क्लासेस को लेकर बात हुई तो उन्होंने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हमारे बच्चे सुबह से लेकर दोपहर यानि 4-5 घंटे तक कम्प्यूटर, मोबाइल या लैपटॉप पर लगातार क्लासेस लेते हैं लगातार कम्प्यूटर पर टकटकी लगाए देखने से उनके आंखों में पानी आना, सिर में दर्द जैसी शिकायतें सामने आ रही हैं। लेकिन, जब बच्चों को क्लास लेने से मना करते हैं तो वह जिद करते हैं ऐसे में सरकार को चाहिए स्कूलों को आदेश जारी कर पांच से छठी कक्षा के बच्चों की ऑलाइन क्लासेस पर पाबंदी लगाएं ताकि बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ ना हो।
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एनसीआर, नोएडा ओर गाजियाबाद में विरोध
इन शहरों में भी बच्चों के मां-बाप को अपने बच्चों की सेहत की चिंता सताने लगी है। इसको लेकर कई बार विरोध दर्ज कराया जा चुका है लेकिन, अभी तक सरकार के ढीले रवैये के चलते स्कूल प्रशासन का बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ जारी है।
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क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों के लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप के संपर्क में रहने से मानसिक और शारीरिक तौर पर असर हो सकता है। स्क्रीन टाइम (गजैटस, मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और टैबलेट पर बिताया जाने वाला समय) को लेकर बच्चों के लिए खास एतियाद बरतनी पड़ती है। अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 से 24 महीने के बच्चे स्क्रीन का इस्तेमाल ना करें। 2 से 5 साल के बच्चे एक घंटे से ज़्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल करने पर भी मनाही है। गजैट्स के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों को गर्दन, मस्तिष्क में दर्द, आंखों की रोशनी, मानसिक स्थिति पर विपरित असर पड़ता है। इससे बच्चा दिमागी रूप से कमजोर भी हो सकता है।