भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है : शास्त्री

बांसवाड़ा। कस्बे में भागवात कथा के दौरान मंगलवार को कथावाचक पंडित कमलेश शास्त्री ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया।

कुशलगढ़ में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है। जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है।

उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। व्यास पीठाधीश्वर पंडित कमलेश शास्त्री ने भागवत कथा के दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है।

उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। पंडित कमलेश शास्त्री ने कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूूर रहता है। उन्होंने वाराह अवतार सहित अन्य प्रसंगों पर प्रवचन किए। इससे पूर्व यजमान बाबूलाल प्रजापत, उषा प्रजापत, रूपक मल प्रजापत, निधि, स्वरूप, भाग्यलक्ष्मी प्रजापत द्वारा पूजा-अर्चना की गई। जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।

कुशलगढ़ के बांसवाड़ा रोड पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ रहस्यों को कथा वाचक शास्त्री ने बेहद संजीदगी के साथ सुनाया। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। इस दौरान यजमान बाबूलाल प्रजापत, उषा प्रजापत, रूपक मल प्रजापत, निधि, स्वरूप, भाग्यलक्ष्मी प्रजापत हरेंद्र पाठक, कैलाश राव, प्रबोधचंद्र पंड्या, दिनेश शर्मा का सहयोग रहा।

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