नहीं सुधर रहा पाक : हिंदुओं के अस्तित्व का खतरा बरकरार

पाकिस्तान में हिन्दुओं को खतरा बढ़ा
पाकिस्तान में हिन्दुओं को खतरा बढ़ा

जबरन कराए जा रहे धर्म परिवर्तन, पाक सरकार मौन

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में रह रहे हिन्दू प्रताड़ति हो रहे हैं, इसकी खबरें तो अक्?सर सामने आ ही जाती हैं लेक?िन ये प्रताडऩा कैसी और क?ितनी है, यह कम ही सामने आ पाता है। टीवी ने पाकिस्तान से धार्मिक वीजा पर भारत आए पाक हिंदुओं से बातचीत की और उनसे जाना क?ि वहां कैसे हालातों में जीवन गुजारना होता है।

हाल ही में पाकिस्तान से धार्मिक वीजा पर भारत आए पाक हिंदुओं का कहना है क?ि पाकिस्तान में हमारे साथ हो रहे अत्याचार लगातार अब बढऩे लगे हैं। हालात यह हो चुके हैं कि अब घर से बाहर निकले तो जिंदगी बचेगी या नहीं, इसका कुछ पता नहीं। घर की बेटियों को बचाने के लिए अगर आवाज उठाते हैं तो दर्दनाक मौत मिलती है। पाकिस्तान में हम हिंदुओं का रहना मतलब मौत से खेलना जैसा है, अब हम मर जायेंगे लेकिन पाकिस्तान वापस नहीं जायेंगे।

घर की महिलाओं पर होती है उन लोगों की नजर

पाकिस्तान में अपनी पूरी जिंदगी बिताने वाली हिंदू महिलाओं की बात करें तो इनका कहना है क?ि पाकिस्तान में हिंदुओं को गद्दार और काफिर की नजरों से देखा जाता है। हमारी घर की महिलाओं पर उन लोगों की नजर होती है। दिन के उजालों में बेटियों की इज्जत चौराहे पर नीलाम कर दी जाती हैं। हिंदू से मुसलमान बना दिया जाता है और जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है। शर्त यह रखी जाती है कि पाकिस्तान में जिंदा रहना है तो हमारे हिसाब से जीना होगा। भगवान के सामने हम हाथ नहीं जोड़ सकते। पाकिस्तान के हिंदू बुजुर्ग महिला सीता का कहना है क?ि जिंदगी बीत गई लेकिन पाकिस्तान में इज्जत नहीं मिली। यहां अभी भले ही नागरिकता ना मिली हो, कम से कम लोग इज्जत से बात तो करते हैं।

पाकिस्तान
पाकिस्तान

पाकिस्तान में हिंदू समेत सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लोग अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन समुदायों को हमले और जबरन मतांतरण का सामना करना पड़ रहा है। निशाना बनाकर हत्या भी की जा रही है। हाल में सिंध प्रांत में 50 हिंदुओं का जबरन मतांतरण कराने की खबर सामने आई थी।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले की खबर अक्सर आती रहती है। बीते दो दिन में देश के विभिन्न हिस्से में अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े तीन व्यक्तियों को निशाना बनाया गया और उनकी मौत हो गई। कराची में 30 मार्च को हिंदू अनुसूचित जाति से आने वाले डा. बीरबल गिनानी पर जान बूझकर हमला किया गया और उनकी मौत हो गई।

पेशावर में 31 मार्च को एक अज्ञात हमलावर ने सिख दुकानदार दयाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी। एक अप्रैल को ईसाई काशीफ मसीह की भी अज्ञात हमलावर ने गोली मारकर हत्या कर दी। इन हत्याओं को अंजाम देने वालों को पकडऩे में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की विफलता से अल्पसंख्यक समुदायों के लोग हताश हो गए हैं। उनमें गुस्सा है और वे स्वयं को असहाय महसूस कर रहे हैं।

इधर, सरकार राजनीतिक और धार्मिक कारणों से अल्पसंख्यकों की चिंताओं का समाधान करने में असमर्थ है। बहुसंख्यक सुन्नी समुदाय के हाथों अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हर दिन उत्पीडऩ और अपमान का सामना कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें : अंग्रजों की देन है यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा