तंगहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को अब विदेशी कर्ज भी नहीं मिल पा रहा, क्यों बिगड़ रहे हालात?

पाकिस्तान
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नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में केवल 5.6 अरब डॉलर का विदेशी ऋण मिला जो सालाना बजट अनुमान के करीब एक चौथाई के बराबर है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर के अनुसार आर्थिक मामलों के मंत्रालय की ओर से संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई से दिसंबर 2022 तक विदेशी ऋण वितरण केवल 5.6 अरब डॉलर रहा, जिससे केंद्रीय बैंक के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आई। ऐसे में हमारा पड़ोसी पाकिस्तान एक बार फिर तंगहाली के कगार पर है और इसका भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है।

आईएमएफ की शर्तों को पूरा नहीं कर पाने के कारण बिगड़े हालात

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पाकिस्तान के लिए वैश्विक ऋणों के कम संवितरण का मुख्य कारण आईएमएफ कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा को समय पर पूरा करने में सरकार की विफलता है। नतीजतन, पाक को 5.6 अरब डॉलर के विदेशी ऋण की प्राप्ति हुई। यह राशि 22.8 अरब डॉलर के वार्षिक बजट अनुमान के केवल एक चौथाई के बराबर थी। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने गुरुवार को घोषणा की कि वह अपने मिशन को बातचीत के लिए पाकिस्तान भेजेगा। हालांकि उसके बयान में सूचीबद्ध शर्तों से संकेत मिलता है कि सरकार को नौ फरवरी तक वार्ता पूरी करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 3.1 अरब डॉलर रह गया

पाकिस्तान को दिसंबर में सिर्फ 53.2 करोड़ डॉलर का कर्ज मिला, जो बड़े पुनर्भुगतान के लिए पर्याप्त नहीं था। पिछले सात दिनों में देश ने चीनी वित्तीय संस्थानों को 828 मिलियन अमरीकी डालर का भुगतान किया। इसके परिणामस्वरूप आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 3.1 अरब डॉलर रह गई। दिसंबर में प्राप्त ऋण का लगभग 44 प्रतिशत एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से आया था जिसने 231 मिलियन अमरीकी डालर दिए थे। अब तक एडीबी 1.9 अरब डॉलर के वितरण के साथ सबसे बड़ा ऋणदाता बना हुआ है। यह राशि वार्षिक अनुमान का एक तिहाई है।

आईएमएफ ने वित्तवर्ष 2023 के लिए पाकिस्तान की सकल वित्तपोषण जरूरतों को 34 अरब डॉलर और विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए 6 अरब डॉलर की जरूरत का अनुमान लगाया है। इससे पाकिस्तान की कुल उधारी 40 अरब डॉलर हो जाएगी। हालांकि, सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केवल 22.8 अरब डॉलर के विदेशी ऋण का बजट रखा है।

अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने पाकिस्तान के विकास परिदृश्य घटाकर नकारात्मक और ऋण रेटिंग की स्थिति को रद्दी करार दिया है। इससे देश के उधार लेने के विकल्प सीमित बने हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे फ्लोटिंग यूरोबॉन्ड के दरवाजे लगभग बंद होने के अलावा देश की उधार लागत में भी वृद्धि हुई है।

7.5 अरब डॉलर के वार्षिक अनुमान के मुकाबले अब तक महज 20 करोड़ डॉलर ही मिले

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 7.5 अरब डॉलर के वार्षिक अनुमान के मुकाबले पाकिस्तान को चालू वित्त वर्ष में केवल 20 करोड़ डॉलर का विदेशी वाणिज्यिक ऋण मिला है।पाकिस्तान सरकार को अब उम्मीद है कि उसे वाणिज्यिक ऋण के रूप में 6.3 अरब डॉलर मिलेंगे, जो वर्तमान परिस्थितियों में उच्चतम स्तर पर प्रतीत होता है।

पाकिस्तान ने सॉवरेन बॉन्ड आधारित उधारी के रूप में दो अरब डॉलर का बजट रखा था लेकिन खराब क्रेडिट रेटिंग और उच्च ब्याज लागत की आशंका के कारण यह योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। सरकार को आईएमएफ से भी तीन अरब डॉलर मिलने की उम्मीद थी जिसे बाद में बढ़ाकर चार अरब डॉलर कर दिया गया।

पाकिस्तान ने सबसे महंगे नया पाकिस्तान प्रमाणपत्र के तहत भी 1.6 अरब डॉलर का कर्ज मिलने की उम्मीद जताई थी। इसमें अब तक 19 करोड़ डॉलर यानी सालाना अनुमान का 11 प्रतिशत प्राप्त हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इस सप्ताह इन ऋण साधनों पर ब्याज दरों में संशोधन किया है और ऋण प्राप्त करने की हताशा में जहां भी संभव हो निवेश सीमा को घटाकर 1,000 डॉलर कर दिया है।

चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में विश्व बैंक ने करीब 69.1 करोड़ डॉलर डिस्बर्स किए

चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने बहुपक्षीय एजेंसियों से ऋण में 7.7 बिलियन अमरीकी डालर के प्रवाह का अनुमान लगाया है। बीते छह महीने में 3.3 अरब डॉलर यानी 44 प्रतिशत राशि डिस्बर्स की गई है। ऐसे में एडीबी की बदौलत बहुपक्षीय एजेंसियों की ओर से किया गया डिस्बर्समेंट छमाही अनुमान से बेहतर रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में विश्व बैंक ने करीब 69.1 करोड़ डॉलर डिस्बर्स किए हैं जो सालाना अनुमान का 26 प्रतिशत है।

विश्व बैंक के एक प्रवक्ता ने इस महीने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया था कि बैंक का निदेशक मंडल अगले वित्त वर्ष में 45 करोड़ डॉलर के राइज-2 ऋण पर विचार कर सकता है। बैंक की वेबसाइट से पता चला है कि 60 करोड़ डॉलर का एक और कर्ज अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दिया गया है।

इस्लामिक विकास बैंक से भी नहीं मिल पा रही पूरी मदद

इस्लामिक विकास बैंक (आईडीबी) ने 1.2 अरब डॉलर के सालाना अनुमान के मुकाबले 17.6 करोड़ डॉलर दिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिनेवा सम्मेलन में आईडीबी ने 4.2 अरब डॉलर के ऋण की घोषणा की, लेकिन सूत्रों के अनुसार, 3.6 अरब डॉलर इसके नियमित तेल वित्तपोषण संचालन का हिस्सा था जिसकी गणना भी तीन बार की गई थी।

सऊदी अरब ने 800 मिलियन अमरीकी डॉलर के वार्षिक अनुमान के मुकाबले एक तेल ऋण सुविधा के तहत 600 मिलियन अमरीकी डालर वितरित किए। द्विपक्षीय कर्जदाताओं में चीन ने 5.5 करोड़ डॉलर, फ्रांस ने 86 लाख डॉलर, जर्मनी ने 45 लाख डॉलर और दक्षिण कोरिया ने 1.9 करोड़ डॉलर दिए।

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