
जीव-जंतुओं की सुरक्षा व पर्यावरण संरक्षण के लिए पाली सांसद पीपी चौधरी ने विभिन्न समस्याओं के निदान सहित केन्द्रीय वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व वनमंत्री राजस्थान सुखराम विश्नोई को लिखा पत्र
नई दिल्ली/जोधपुर/पाली। पाली सांसद और पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व वनमंत्री राजस्थान सुखराम विश्नोई को पत्र लिखकर राजस्थान के जीव-जतुंओं और पर्यावरण के संरक्षण हेतु अपनी विभिन्न मांगे रखी।
इस पत्र में सांसद ने बताया कि इस वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उनके द्वारा विडियों कॉन्फ्रेन्स के माध्यम् से राजस्थान राज्य के पर्यावरण से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों एवं इस क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर कार्य करने वाले पर्यावरण प्रेमियों के साथ विडियों कॉन्फ्रेन्स के माध्यम् से चर्चा की गई। इस दौरान पर्यावरण से जुड़ी विभिन्न समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की गई। पर्यावरण से जुडी समस्याए और उनके निवारण सम्बन्धित सुझावों का संकलन कर पत्र के माध्यम से वनमंत्री को अवगत करवाया गया है।
पत्र में सांसद ने बताया कि घटते जंगलों का सबसे बड़ा कारण अतिक्रमण है।
पीपी चौधरी ने राजस्थान के जीव-जतुंओं और पर्यावरण के संरक्षण हेतु अपनी विभिन्न मांगे रखी
लोग जंगलों के किनारे खेती करते हुए आगे बढ़ना शुरू करते है और आगे बढ़ते चले जाते है। राजस्व संस्थाए उनका रजिस्ट्रेशन कर लेती है। ऐसे में जंगल छोटे होकर सिमटते जा रहे है। ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि वह है साधारण अतिक्रमण ओर जंगल की जमीन पर अतिक्रमण के लिए अलग-अलग कानून बनाये जिससे कि सख्त सजा के प्रावधान वाले कानूनों से जंगलों को बचाया जा सकता है। वन्य जीव-जंतुओं की बढ़ते षिकार मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए सांसद ने लिखा कि पूरे देशभर में राजस्थान शिकार की क्रुर घटनाओं में दूसरा स्थान रखता है।
राजस्थान में शिकार की घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिसका एक मात्र कारण शिकारियों की स्थानीय प्रशासन के साथ मिलिभगत से उनके हौसले बुलन्द होते है। कई पर्यावरण प्रेमियों द्वारा शिकारियों को रोकने का प्रयास किया जाता है, तो उन पर हमला किया जाता है या उन पर फर्जी मुकदमों में फसाने का प्रयास प्रशासन के सहयोग से किया जाता है। ऐसा लोग अपने अतिथियों/विशेष पर्यटकों को खुश करने के लिए भी करते देखा जा रहा है। कई ऐसे मामले सामने आए है, जिनमें शिकारियों को शिकार व हथियार के साथ पकड़ा गया है। मौके पर शिकार हुए वन्य जीव का पोस्टमार्टम भी कराया गया, लेकिन शिकारी कानून में कमी का फायदा उठाकर खुले में घुमते रहते है।
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शिकारी अपने साथ एस.सी./एस.टी. के अनपढ़ लोगों को बहला-फुसला कर अपने साथ रखते है, ताकि इनके द्वारा दलित विरोधी कानूनों का इस्तेमाल कर शिकायतकर्ता पर अनुचित दबाव दिया जा सके। इससे पर्यावरण प्रेमियों का मनोबल भी टूटता दिख रहा है। ऐसे में शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग को सख्ती से काम लेना होगा। वन विभाग को शिकार संभावित क्षेत्रों में अपने रेंजों का विस्तार करना आवश्यक है। संसदीय क्षेत्र पाली के रोहट, बिलाड़ा, भोपालगढ़ व औसियां क्षेत्र में वन विभाग की रेंज की संख्त आवश्यकता है। वन्य जीव संरक्षण कानून में भी आवश्यक परिवर्तन कर सजा बढ़ाने के साथ-साथ बार-बार ऐसे कृत्य में शामिल लोगों को आजीवन कारावास भी भेजा जाना उचित होगा।
सांसद ने आगे पत्र में लिखा कि घटती पेड़ों की संख्या भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का कारण है। पेड़ों की गिनती का महत्व राजस्थान से अधिक कोई नहीं समझ सकता। क्योंकि हमारे विश्नोई समाज की ही श्रीमती अमृता देवी एवं उसके साथियों ने खेजड़ी के लिए अपने सिर तक कटा दिए थे। अतः ऐसे में राजस्थान को पौधारोपण में देश और दुनिया का पथ प्रदर्शन करना चाहिए। उन्होंने पौधरोपण के लिए सुझाव दिया मनरेगा योजना के माध्यम गौचर भूमि व सड़के के किनारे पौधारोपण के कार्य को मंजूरी दी जानी चाहिए।
पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को निशुल्क/किफायती मुल्य पर पौधे उपलब्ध कराए जाने चाहिए। पर्यावरण दिवस पर सरकारी कर्मचारियों/ जनप्रतिनिधियों/विद्यार्थियों द्वारा पौधारोपरण को कम्पलसरी किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि खेजड़ी के पेड़ की महत्वता अधिक है, जिसे पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण लोग भलि-भांति जानते है। इसकी रक्षा के लिए अमृता देवी विश्नोई ने अपने प्राणों की आहुती भी दे दी थी। यह कहावत है कि छः दस हौवे छालियां, एक भलेरौ ऊॅट,खेज़ड़ होवै खेत माँय,तौ काल काढ़ द्यू कूट।। अर्थात किसान कह रहा है, 6 बकरी, 1 ऊट और खेत में 1 खेजड़ का पेड़ हो तो, कितना ही बड़ा आकाल पड़ जाए वह उससे निपट लेगा।
इसके अलावा पत्र में पाली सांसद और अध्यक्ष विदेष मामलात समिति पीपी चौधरी ने पुराने कानूनों में संशोधन, औरण भूमि को चारागाह में बदलने, वन्य क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा, अवैध खनन, पशु चिकित्सा, पर्यावरण प्रेमियों की महत्वता/सम्मान आदि विभिन्न समस्याओं को निस्तारण का सुझाव सहित केन्द्र ओर राजस्थान सरकार के समक्ष रखा। सांसद ने आषा जताई कि उक्त मुद्दों पर ठोस निर्णय के द्वारा पर्यावरण प्रेमियों के लंबित मांगों का जल्द ही निस्तारण होगा।