
प्रधानमंत्री मोदी आज जब राज्यसभा में बोल रहे थे, तब उनका अंदाज अलग था। उन्होंने कुछ नए शब्दों का जिक्र किया। जैसे- आंदोलनजीवी, फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी और जी-23। यह भी बताया कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त आज होते तो कविता किस तरह लिखते। किसानों के मुद्दे पर विपक्ष को घेरते हुए मोदी ने 4 पूर्व प्रधानमंत्रियों का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लोग कुछ शब्दों से परिचित हैं- श्रमजीवी, बुद्धिजीवी। मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में नई जमात पैदा हुई है। एक नई बिरादरी सामने आई है- आंदोलनजीवी।
आप देखेंगे कि आंदोलन चाहे वकीलों का हो, स्टूडेंट्स का हो, मजदूरों का हो, हर आंदोलन में ये जमात नजर आएगी। आंदोलनजीवियों की पूरी टोली है। ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते। आंदोलन से जीने के लिए रास्ते खोजते रहते हैं। हमें इन्हें पहचानना होगा।
मोदी ने कहा कि ऐसे आंदोलनजीवी सब जगह पहुंचकर आइडियोलॉजिकल स्टैंड ले लेते हैं। नए-नए तरीके बताते हैं। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे, ये हम सभी को देखना होगा। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर पाते। किसी का आंदोलन चल रहा तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। ये सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।

मोदी ने कहा कि देश प्रगति कर रहा है और हम फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की बात कर रहे हैं। लेकिन बाहर से एक नया एफडीआई नजर आ रहा है। ये नया एफडीआई है- फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी। इस एफडीआई से देश को बचाने के लिए हमें और जागरुक रहने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री का इशारा क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग से लेकर पॉप सिंगर रिहाना तक ऐसी विदेशी हस्तियों पर था, जिन्होंने हाल ही में अपनी सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए किसान आंदोलन का समर्थन किया है।
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