
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन के ग्रैंड फिनाले को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि नई शिक्षा नीति सच्चे अर्थ में पूरे भारत के सपने को अपने में समेटे हुए। इसमें हर क्षेत्र और राज्य के विद्वानों को शामिल किया गया है। यह केवल पॉलिसी डॉ यूमेंट नहीं है।
हैकेथॉन के ग्रैंड फिनाले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया
यह 130 करोड़ भारतीय की उम्मीदों का रिफ्लेक्शन भी है। मोदी बोले कि आज भी अनेक बच्चों को लगता है कि उन्हें एक ऐसे विषय के आधार पर जज किया जाता है, जिनमें उनका इंटरेस्ट ही नहीं है। उन्हें मां-बाप और समाज के चुने गए विषय को लेकर पढऩा होता है। इसका असर उसकी पूरी जिंदगी की जर्नी पर पड़ता है।
नई शिक्षा नीति में इसे बदलने का काम किया जा रहा है। पहले की कमियों को बदलने की कोशिश हो रही है। शिक्षा के इंटेंट और कंटेंट दोनों को ट्रांसफार्म करने का प्रयास है। यह लर्निंग, रिसर्च और इनोवेशन पर फोकस करता है।
प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की मुख्य बातें
यह हैकेथॉन पहली बार किसी समस्या को सुलझाने के लिए नहीं हो रहा, न ही यह अंतिम बार है। आप लर्निंग, क्वैश्चनिंग और डूइंग जारी रखें। जब आप सीखेंगे तो आप सवाल करेंगे। जब आप सवाल करेंगे तो कुछ करेंगे और उससे कुछ नई चीजें सामने आएगी। सीखना एक ऐसा वरदान है, जो जीवन भर काम देता है। सिर्फ याद कर लेने से ज्यादा दिनों तक ज्ञान काम नहीं आता। सिर्फ एक विषय के आधार पर यह तय नहीं हो सकता कि आपका प्रदर्शन क्या है। आप कौन हैं। आर्यभट्ट, लियो नार्डो विंची और गुरु रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इस बात को साबित किया है। अगर कोई चाहता है तो वह संगीत और गणित एक साथ पढ़ सकता है। वह एक साथ कोडिंग और आर्ट दोनों पढ़ सकता है।
हमारी नई शिक्षा नीति में इंटर डिसीप्लीनरी एजुकेशन को महत्व दिया गया है। इसके तहत एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का फायदा बच्चों को मिलेगा। इसका उनके पढ़ाई के अंत में कैलकुलेशन किया जाएगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा को असरकारी बनाने के लिए लाई गई है।हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, हमारे देश के महान शिक्षाविद् डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर कहते थे कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो सभी के लिए सुलभ है। यह नीति उनको समर्पित है।
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यह हमारे नजरिए में बदलाव लाने की कोशिश है। हमारा फोकस एक ऐसे आत्मनिर्भर युवा का निर्माण करना है जो यह फैसला ले सके कि उसे जॉब करनी है और आंत्रप्रेन्योर बनना है। हमारी भारतीय भाषाओं में कितनी रचनाएं हैं। कितना ज्ञान है। इन सबका और विस्तार होगा। नई नीति में स्थानीय भाषा को सीखने का अवसर मिलने पर इन भाषाओं का तो विस्तार होगा ही बच्चों का भी टैलेंट बढ़ेगा। अगर हम दुनिया के प्रमुख देशों को देखें तो वे अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं।
वे दुनिया के साथ संवाद के लिए दूसरी भाषाओं को भी उतना ही महत्व देते हैं। 21वीं सदी में सफलता के लिए यह नीति और रणनीति है। इसमें लोकल पर जितना फोकस है उतना ही उसे इंटरनेशनल के साथ इंटीग्रेटी करने पर भी ध्यान दिया गया है। टॉप फॉरेन इंस्टीट्यूशन को भी भारत में कैंपस बनाने का मौका दिया जाएगा। इससे देश में स्थानीय भाषा के साथ ही ग्लोबल एजुकेशन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगा।