
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी परिवार सहित संयुक्त अरब अमीरात में शरण ले चुके हैं। देश छोडऩे के चौथे दिन देर रात करीब 10:45 बजे वे पहली बार दुनिया के सामने आए। कहा- मैं अगर मुल्क छोड़कर नहीं आता तो खून-खराबा होता। मैं अपने देश में ऐसा होते नहीं देख सकता था, इसलिए मुझे हटना पड़ा। मुझे भी फांसी पर लटका दिया जाता।
गनी ने पैसे लेकर भागने के आरोपों पर भी सफाई दी। कहा- मैं देश के पैसे लेकर नहीं आया हूं। ये आरोप बेबुनियाद हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बयानों पर गनी ने कहा कि हम तालिबान से बातचीत कर रहे थे, लेकिन यह बेनतीजा रही। उन्होंने सेना और अधिकारियों को धन्यवाद भी किया।

गनी का बयान
तालिबान से हुए समझौते में साफ कहा गया था कि वो काबुल शहर के अंदर नहीं आएंगे। रविवार (15 अगस्त) दोपहर मुझे मेरे गार्ड्स ने बताया कि तालिबान राष्ट्रपति महल की बाउंड्री वॉल तक पहुंच चुके हैं। अगर मैं अफगानिस्तान में रहता तो देश के लोग एक और राष्ट्रपति को सर-ए-आम फांसी के फंदे पर लटकते देखते।
मैं देश से किसी तरह का कैश लेकर नहीं निकला। मैंने यूएई पहुंचने के बाद एक आम नागरिक की तरह कस्टम क्लियरेंस ली। मैं अपने कपड़े ही साथ लाया हूं। अपनी लाइब्रेरी साथ लाना चाहता था, लेकिन ये भी मुमकिन नहीं हो सका। हमारे सुरक्षा बल नाकाम नहीं रहे। देश के बड़े नेता और इंटरनेशनल कम्युनिटी नाकाम रही। मैं अपने मुल्क लौटना चाहता हूं और इसके लिए हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला के संपर्क में हूं। यही लोग तालिबान से बातचीत कर रहे हैं।