जलते दीप की मुहिम को मिला प्रधानमंत्री का साथ, आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का राष्ट्र के नाम संदेश में किया जिक्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, prime minister narendra modi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, prime minister narendra modi

कोविड-19 के ख़िलाफ़ जंग में दैनिक जलतेदीप ने भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का उपयोग करने की जो मुहिम चलाई थी इसका असर आज प्रधानमंत्री के सन्देश में दिखा। मोदी ने अपने उद्बोधन के तीसरे मन्त्र में “अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें, गर्म पानी, काढ़ा, इनका निरंतर सेवन करें का विशेष रूप से उल्लेख किया ।

उल्लेखनीय है कि 12 दिन पूर्व प्रधानमंत्री ने इस बाबत एक टास्क फ़ोर्स का गठन भी किया है। आयुष मन्त्रालय भी इस सन्दर्भ में एक विस्तृत गाइड लाइन पहले ही जारी कर चुका है।

जलतेदीप ने भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का उपयोग करने की मुहिम चलाई थी

जलतेदीप  ने कोरोना वायरस के संक्रमण की समस्या शुरू होने के साथ ही आयुर्वेद का लाभ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने को लेकर एक अभियान चलाया तथा उच्च स्तर तक इस मुहिम को आगे बढ़ाया गया।

इसके पीछे ठोस तर्क भी रखे गए कि पिछले दौर में जितनी भी महाव्याधियों का आक्रमण हुआ तब तब आयुर्वेद औषधियाँ रामबाण साबित हुयी है।

स्वाइन फ़्लू का उदाहरण इसका सबूत है जब राजस्थान में घर घर काढ़ा इस रोग को जड़ से काटने  में सटीक औषधी के रूप में उपयोगी रहा था ।

इसी प्रकार कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों को सबसे अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने और इसके रोगियों की संख्या कम करने में केरल प्रदेश का उदाहरण भी सबके सामने है ।

आयुर्वेद औषधियाँ रामबाण साबित हुयी है

केरल के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं राज्य में कोविड के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के ओवरऑल इंचार्ज राजस्थान मूल के डॉ विश्वास मेहता का कहना है कि केरल के जन जीवन में आयुर्वेद रची बसी हुई है ।

यहां हर कोई जीरा मिश्रित गर्म पानी पीता है और आयुर्वेद  थेरेपी के कारण केरल मेडिकल पर्यटन का भी विश्व में सबसे पसंदीदा स्थल है। उन्होंने बताया कि केरल के मुख्यमन्त्री पिनराई विजयन के नेतृत्व में किए जा रहे प्रयास सफल हो रहे हैं ।

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे पहला मामला केरल में आया था लेकिन वहां की सरकार की ज़बरदस्त रणनीति के कारण इस पर अंकुश के साथ ही लगभग 50 फीसदी मरीज स्वस्थ्य होना एवं मात्र दो मृत्यु को एक मॉडल राज्य माना जा रहा है ।

यह सही है कि कोरोना वायरस की अभी तक कोई वेकसीन अथवा दवा नहीं बन पाई है और इसके लिए भारत सहित कई देश शोध में जुटे हुए हैं लेकिन यह बात सभी मानते हैं कि इम्यूनिटी  बढ़ाने में आयुर्वेद का कोई तोड़ नहीं है।

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भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से ही भगवान धनवंतरि की इस महान देन का प्रचलन है और सारी दुनिया में हर कोई इसका लोहा मानता है।

प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में इसी सोच के साथ इस शताब्दी की इस सबसे बड़ी बीमारी और त्रासदी से लड़ाई में आयुर्वेद की प्रतिष्ठा को  पुनर्रस्थापित किया है।

उम्मीद है सभी राज्य अपने नागरिकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिये आयुष मंत्रालय की एडवाइजरी के अनुरूप प्रभावी अभियान चलायेंगे ।