
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पूर्व के सुखद अनुभवों के आधार पर आयुष के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देशवासियों के नाम की गई अपील को पुख़्ता रोडमेप के अभाव में भारत सरकार और राज्य सरकारें धरातल पर नही उतार पा रही है ।
इसी कारण आज ‘मन की बात में’ प्रधानमंत्री जी ने पुन: देशवासियों का पुरजोर ध्यान इस ओर आकर्षित किया। बताया जाता है कि देश में सभी का जोर एलोपेथी पर ही टिका हुआ है। आयुष मन्त्रालय द्वारा कोई पुख़्ता रोडमेप नही बनाये जाने से राज्य सरकारें लाचार हैं और आयुष के संबंध में कोई प्रभावी कार्यवाही नही कर पा रही हैं।
आयुष मंत्रालय द्वारा जारी की गई एडवाईजरी में दिए गए निर्देशों का पालन करने तथा गर्म पानी, काढ़ा आदि का निरंतर सेवन करते रहने का सुझाव दिया था।
हालाँकि देश के कई आयुर्वेद विशेषज्ञों और होनहार शोधकर्ताओं ने सप्रमाण अपने प्रस्ताव केन्द्र और राज्य सरकारों को भिजवाये हैं, टास्क फोर्स भी बनी हुई है लेकिन इन पर गंभीरता से गौर और वांछित क्रियान्वयन नही हो पा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रेल को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए लॉकडाउन प्रथम के सफल क्रियान्वयन के पश्चात 3 मई तक लॉकडाउन 2.0 की देशव्यापी बंद की घोषणा करते हुए देशवासियों से सात बातों पर समर्थन मांगा था ताकि इस महामारी को परास्त किया जा सके।
यूँ कहे मोदीजी ने देश से सात वचन माँगे। उन्होंने अन्य वचनों के साथ तीसरा वचन माँगते हुए लोगों से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा जारी की गई एडवाईजरी में दिए गए निर्देशों का पालन करने तथा गर्म पानी, काढ़ा आदि का निरंतर सेवन करते रहने का सुझाव दिया था। भारत के जागरूक नागरिक अपने प्रधानमंत्री की सभी बातें मानते है। प्रधानमंत्री ने कहा जनता कर्फ्यू को सफल बनाओ, तो उसे सफल किया। उन्होंने कहा थालियाँ, घंटियाँ बजाओ, तो बजाई।
आयुष के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देशवासियों के नाम की गई अपील को पुख़्ता रोडमेप के अभाव में भारत सरकार और राज्य सरकारें धरातल पर नही उतार पा रही है ।
उन्होंने कहा दीये जलाओ, तो जलायें। उन्होंने आयुर्वेद को अपनाने की अपील की तो लोग अपने बड़े बुजुर्ग की सलाह अनुसार अपने बलबूते पर उसका भी पालन कर रहे हैं। लेकिन हक़ीक़त में सरकारी महकमो का कोई ठोस रोडमैप नही होने के कारण पीएम की भावना को सही ढंग से धरातल पर नही उतारा जा सका है। राज्य सरकारों ने आयुष मंत्रालय की एडवाइजरी के परिपत्र जारी कर दिये।
उन्हें इसे अभियान के रूप में लेना था, वह धरातल पर दिखाई नही देता। औषध केंद्रों पर भूले भटके कोई पहुँचता है तो उन्हें काढ़ा के सूखे पाउडर, त्रिकूट त्रिफला, सोंठ और अजवाइन पाउडर के साथ ही खाँसी की कुछ गोलियाँ आदि ही पकड़ाई जा रही हैं।
इस प्रकार मात्र औपचारिकता ही निभाई जा रही है। इसे सघन जन अभियान नही बना पा रहे हैं। अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवी संस्थाओं के स्वयंसेवकों के माध्यम से घर घर जाकर काढ़ा वितरित करवाया जा सकता था अथवा पाउडर के पाउच भी दिए जा सकते थे। मु त या नाममात्र मूल्य पर ये पाऊच हर किराणा दुकान, सजी विक्रेता को उपलध करवाया जाकर उनके माध्यम से आमजन के घर घर सुलभता से पहुंचाए जा सकते हैं ।
आयुष मन्त्रालय द्वारा कोई पुख़्ता रोडमेप नही बनाये जाने से राज्य सरकारें लाचार हैं और आयुष के स बन्ध में कोई प्रभावी कार्यवाही नही कर पा रही हैं।
हकीकत में स्वास्थ्य मन्त्रालय आयुष मन्त्रालय के कार्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में नही मानता और आयुष मन्त्रालय भी किसी का हस्तक्षेप पसन्द नही करता। यूँ कहें कि दोनों की अलग अलग धाराए हैं। आयुष पर भी कथित तौर पर कतिपय संस्थाओं का प्रभाव ही अधिक बताया जा रहा है।
इसलिए आयुष की अधिकांश योजनाएँ सतह पर नही उतर पा रही है। यहाँ तक कि कोई ओथेंटीक जानकारी भी साझा नही करना चाहता। आयुष मन्त्रालय तो गाइड लाइन प्रकाशित एवं साया करवाकर अपने कर्तव्यों से मुक्त हो गया है, ऐसा लग रहा है।
राज्य सरकारों के औषध केंद्रों पर उचित मात्रा में न तो काढ़ा बनवाया जा रहा है और न ही कोरोना वारियर्स व आमजन को पिलाया जा रहा है। इसके लिए न कोई बजट है न कोई स्पष्ट मार्गदर्शन।
हाँ मीडिया अवश्य अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हुआ बार-बार देशवासियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने के लिए प्राकृतिक और आयुर्वेद चिकित्सा अपनाने आदि पर प्रचार प्रसार करने में कोई कमी नही रख रहा।
जलते दीप की मुहिम को मिला प्रधानमंत्री का साथ, आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का राष्ट्र के नाम संदेश में किया जिक्र
पिछले दिनों डेंगू में काम आये एक आयुर्वेदिक नुस्ख़े की एंटी बायोटिक टेबलेट की चर्चा ने मीडिया में खूब सुर्खियाँ बटोरीं। बताया जा रहा है कि चारों ओर से आ रहे दवाबों की वजह से अब आईसीएमआर आयुर्वेदिक औषधी के साथ शोधपरक प्रयोग कर रहा है। विश्व के कई देश यहाँ तक कि पाश्चात्य संस्कृति वाले देश भी भारतीय चिकित्सा विज्ञान विशेषकर आयुर्वेद का लोहा मानते है।
भारत में वैदिक काल से चली आ रही आयुर्वेद की सनातन पर परा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गहरी आस्था और विश्वास है और यहीं कारण है कि उन्होंने लॉक डाउन -2 की घोषणा करते हुए देशवासियों को अपने सप्तपदी संदेश में आयुष एवं आयुर्वेद की बातों का प्रमुखता से उल्लेख करते हुए देशवासियों से उन्हें अपनाने का वचन माँगा।
आपको बता दें कि आपके अपने ‘जलते दीप’ ने कोरोना महामारी के वैश्विक संकट और देश पर हुए इस ख़तरनाक वायरस के आसन्न ख़तरों के बीच 14 मार्च से लगातार केन्द्र व राज्य सरकार तक आयुर्वेद के पक्ष में आवाज़ उठाई और आयुष के पक्ष में वातावरण बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
साथ ही आज भी हम अनवरत आयुर्वेद के लिए संकल्पित प्रयास में जुटे हुए है। इसके लिए हमने देश विदेश की कई संस्थाओं आयुर्वेद विशेषज्ञों और प्रतिष्ठित समाजसेवियों को अपने साथ जोड़ा है।
हमारा मानना है कि कोरोना वायरस को समाप्त करने के लिए यदि भारत अपनी आयुर्वेद से जुड़ी ऐसी किसी शोध में सफल रहता है तो एक बार फिर न केवल भारतीय चिकित्सा पद्धति को दुनिया में डंका बजाने का अवसर मिलेगा वरन स पूर्ण मानव जाति और सृष्टि के लिए भी आयुर्वेद एक नायाब संजीवनी- बूटी साबित होगी।