साइबर ठगी से बचाने के लिए प्रचार-प्रसार जरूरी

डूंगरपुर। प्रदेश में लगातार बढ़ रही साइबर ठगी के मामलों से आमजन को बचाने के लिए मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने मंगलवार को वीडियो काफ्रेंस में कलेक्टर सुरेश कुमार ओला, एसपी सुधीर जोशी, एडीएम कृष्णपाल सिंह चौहान सहित अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए हैल्पलाइन नम्बर का व्यापक प्रचार-प्रसार हो तथा इस पर आने वाले कॉल्स की नियमित मॉनिटरिंग भी की जाएं। शिकायत आते ही उन पर तुरंत कार्रवाई की जाएं, जिससे की ठगी को रोका जा सके।

मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में बढ़ते साइबर अपराधों के मामलों के प्रति राज्य सरकार गंभीर है। लोगों को नहीं पता कि ठगी होने के बाद क्या कदम उठाना चाहिए। मुख्य सचिव ने 2 अक्टूबर से शुरू हो रहे प्रशासन गांवों के संग अभियान की जिलों में तैयारियों की समीक्षा की।

अभियान से ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर कैम्पों के माध्यम से तकरीबन 19 विभागों से संबंधित समस्याओं का निराकरण एक ही स्थान पर उपलब्ध होगा। जिला कलेक्टर्स के साथ-साथ संबंधित विभाग इन शिविरों में दी जाने वाली सुविधाओं के निर्बाध क्रियान्वयन के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करे। कैम्प में जाने वाले कार्मिक पूरी तैयारी के साथ वहां जाएं तथा संवेदनशीलता के साथ लोगों की समस्याओं का निराकरण करें।

बच्चों के लिए तैयार किए 10 बैड एनआईसीयू, 20 बैड आईसीयू के

डूंगरपुर. कोरोना की तीसरी लहर के संक्रमण से आमजन को बचाने के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां जारी है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मुख्यमंत्री केयर फंड के 623 लाख रुपए में बच्चों के लिए 10 बैड एनआईसीयू, 20 बैड आईसीयू के लग चुके हैं। साथ ही जिले की सभी चिकित्सा संस्थानों पर 1000 से अधिक बैड ऑक्सीजन के व्यवस्थित किए गए हैं।

संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मारामारी तथा संभावित तीसरी लहर बच्चों के बीच शुरू होने आशंका को देखते हुए इनके लिए सबसे अधिक व्यवस्थाएं की जा रही है। इसके अलावा चिकित्सा विभाग में मॉनिटरिंग को लेकर भी बड़ा काम किया जा रहा है, क्योंकि दूसरी लहर में डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही के कई गंभीर आरोप लगे थे, इसलिए चिकित्सा संस्थानों की मॉनिटरिंग व स्टाफ की बढ़ोत्तरी पर ज्यादा काम किया जा रहा है।

संभावित तीसरी लहर को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डूंगरपुर सहित प्रदेश के 11 जिलों के 17 अस्पतालों में 94 करोड़ रुपए की लागत से बच्चों के लिए एनआईसीयू, आईसीयू व पीआईसीयू व्यवस्थित करने के कार्यों का शिलान्यास गत जुलाई में किया था। अधीक्षक डॉ. महेन्द्र डामोर ने बताया कि इस के तहत डूंगरपुर को 623 लाख रुपए की लागत से 10 बैड एनआईसीयू और 20 बैड आईसीयू के मिले हैं। मेडिकल कॉलेज कोविड अस्पताल में इनको व्यवस्थित किया गया है।

नवीन भवन के सेकेंड फ्लोर पर 20 बैड का आईसीयू व्यवस्थित किया गया है, वहीं एमसीएच में बच्चों के 10 बैड का एनआईसीयू लगाया गया है। इसके अलावा संक्रमित होने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए भी अलग से वार्ड लगाया गया है। सबसे अधिक मल्टीविटामिन, एंटी फंगल दवाएं, बच्चों के लिए सिरप, इम्युनिटी बूस्टर इंजेक्शन आदि दवाओं का भंडारण बढ़ाया संक्रमण की दूसरी घातक लहर में ऑक्सीजन एवं दवाओं की आपूर्ति तथा बैड्स को लेकर आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ा।

इससे सबक लेते हुए सरकार मेडिकल कॉलेजों से लेकर सीएचसी-पीएचसी स्तर तक चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत कर रही है ताकि तीसरी लहर आए तो इस महामारी का मुकाबला किया जा सके। इसके लिए ऑक्सीजन बैड्स की व्यवस्था के साथ ही दवाओं के भंडारण भी किए जा रहे हैं। सबसे अधिक मल्टीविटामिन, एंटी फंगल दवाएं, बच्चों के लिए सिरप, इम्युनिटी बूस्टर इंजेक्शन आदि कई प्रकार की दवाओं का भंडारण बढ़ाया है।

चिकित्सा संस्थानों पर सीसीटीवी लगाकर मॉनिटरिंग बढ़ाई, डॉक्टरों को लापरवाही बरतना पड़ेगा भारी

चिकित्सा संस्थानों की मॉनिटरिंग करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा टीमों का तो गठन किया ही जाता है, सीसीटीवी की निगरानी में लिया गया है। सीएमएचओ ने सभी सीएचसी, पीएचसी पर सीसीटीवी इंस्टॉल करा दिए हैं, वहीं उप जिला अस्पताल सागवाड़ा और मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी पूरी तरह से सीसीटीवी की निगरानी में आ चुका है। अब डॉक्टरों को इलाज देने में लापरवाही बरतना भारी पड़ेगा। ओपीडी और आईपीडी में डॉक्टर व स्टाफ के आने-जाने सहित अन्य सभी प्रकार की मॉनिटरिंग सीसीटीवी से की जा रही है।

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