राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने सुनाई दो साल की सजा, क्या छिनेगी कांग्रेस नेता की लोकसभा सदस्यता?

राहुल गांधी
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‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। सूरत की कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई है। हालांकि, कोर्ट ने सजा को तीस दिन के लिए लिए निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही राहुल गांधी को जमानत दे दी गई है। फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा की उन्हें पता था कि ये होने वाला है। आइये जानते हैं राहुल को किस आरोप में सजा हुई है? मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है? सजा पर राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया दी? राहुल के पास आगे क्या विकल्प हैं? सजा के बाद क्या राहुल की सांसद सदस्यता भी छिन सकती है? पहले किन जनप्रतिनिधियों की सासंदी या विधायकी इस वजह से जा चुकी है?

‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी केस में हुआ क्या है?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से 2019 में मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में गुरुवार को सूरत की अदालत ने फैसला सुना दिया। कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया है। धारा 504 के तहत राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत दे दी। इसके साथ ही उन्हें उन्हें तुरंत जमानत भी दे दी। अगले तीस दिन के अंदर राहुल के पास सूरत कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने का वक्त होगा।

मामला क्या है?

2019 लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है? इसी को लेकर भाजपा विधायक व गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

राहुल का रुख क्या रहा है?

राहुल गांधी
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की अदालत ने पिछले शुक्रवार को दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाने के लिए 23 मार्च की तारीख तय की थी। राहुल इस मामले की सुनवाई के दौरान तीन बार अदालत में पेश हुए। हालांकि, राहुल गांधी ने कोर्ट के अंदर अपने बयान में कहा था कि वह अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हैं। अक्तूबर 2021 में बयान दर्ज कराने के लिए अदालत पहुंचे राहुल ने खुद को निर्दोष बताया था।

राहुल के पास आगे क्या विकल्प हैं?

राहुल गांधी के वकील ने कहा कि हम फैसले को चुनौती देंगे। उन्होंने बताया कि उनके पास अभी तीस दिन का समय है। वो जिला अदालत में चुनौती देंगे अगर फैसला हमारे पक्ष में नहीं आया तो आगे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।

राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया दी?

इस फैसले पर गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कहा कि राहुल गांधी का अपनी भाषा पर नियंत्रण नहीं हैं, उनके बयान से मोदी समाज गुस्सा हुआ। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राहुल गांधी जो भी बोलते हैं उससे सिर्फ नुकसान ही होता है। उनकी पार्टी को तो नुकसान होता ही है, ये देश के लिए भी अच्छा नहीं है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा की उन्हें पता था कि ये होने वाला है। आगे उन्होंने आरोप लगाया कि जजों को बार-बार बदला जा रहा था।

तो क्या राहुल की सांसदी भी जाएगी?

लोक-प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के मुताबिक, अगर किसी नेता को दो साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो उसे सजा होने के दिन से उसकी अवधि पूरी होने के बाद आगे छह वर्षों तक चुनाव लडऩे पर रोक का प्रावधान है। अगर कोई विधायक या सांसद है तो सजा होने पर वह अयोग्य ठहरा दिया जाता है। उसे अपनी विधायकी या सांसदी छोडऩी पड़ती है।
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि राहुल गांधी को दो साल की सजा जरूर हुई है, लेकिन सजा अभी निलंबित है। ऐसे भी फिलहाल उनकी सांसदी पर कोई खतरा नहीं है। राहुल को अगले तीस दिन के भीतर ऊंची अदालत में फैसले को चुनौती देनी होगी। अगर वहां भी कोर्ट निचली अदालत को बरकार रखती है तो राहुल की संसद सदस्यता जा सकती है।

क्या हमेशा से ऐसा होता रहा है?

नहीं, 2013 के पहले ऐसा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में इस अधिनियम को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दिया था। इस प्रावधान के मुताबिक, आपराधिक मामले में (दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस सूरत में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। यानी धारा 8(4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करता है। इसके बाद से किसी भी कोर्ट में दोषी ठहराए जाते ही नेता की विधायकी-सासंदी चली जाती है।

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