राज्य उपभोक्ता आयोग का अभूतपूर्व फैसला, शादी निरस्त होना नियंत्रण के बाहर, होटल वापस लौटाए 17 लाख रुपए

जयपुर। राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि वर पक्ष की ओर से विवाह से इनकार करने पर शादी समारोह निरस्त होने की स्थिति वधु पक्ष के नियंत्रण के बाहर की है। यदि परिस्थिति उसके नियंत्रण में होती और वह उसके बाद विवाह समारोह निरस्त होता तो माना जा सकता था कि परिवादी को राशि वापस नहीं मिलेगी। इसके साथ ही आयोग ने जय महल पैलेस के प्रबंधक को कहा है कि वह जमा कराई गई बीस लाख रुपये में से 17 लाख रुपए परिवादी को दो माह में वापस करे। वहीं आयोग ने परिवाद व्यय के तौर पर दस हजार रुपये अतिरिक्त अदा करने को कहा है। आयोग ने यह आदेश रमेश चन्द्र अग्रवाल के परिवाद पर दिए।

परिवाद में अधिवक्ता भूपेन्द्र पारीक ने आयोग को बताया कि परिवादी ने अपनी बेटी के 17 अप्रैल 2019 को शादी समारोह के लिए विपक्षी होटल से 9 फरवरी को एग्रीमेंट किया था। उसके पेटे परिवादी की ओर से 9 अप्रैल तक कुल बीस लाख रुपये होटल प्रबंधन को अदा किए गए। वहीं अचानक वर पक्ष ने शादी करने से इनकार कर दिया। इसके चलते परिवादी ने 12 अप्रैल को होटल प्रबंधन को समारोह निरस्त करने की जानकारी दी। इस पर होटल प्रबंधन ने पूरी राशि लौटाने का आश्वासन दिया। वहीं बाद में प्रबंधन ने 25 फीसदी राशि और पांच प्रतिशत सर्विस चार्ज लौटाने की बात कही, जो कि भविष्य में पुत्री की शादी होटल से करने पर 5 लाख 66 हजार चार सौ रुपये की छूट के तौर पर दी जा सकती है। परिवाद के जवाब में होटल की ओर से कहा गया कि एग्रीमेंट के अनुसार आयोजन से पन्द्रह दिन पहले बुकिंग निरस्त कराने पर ही पूरी राशि वापस दी जा सकती थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने नुकसान की भरपाई के रूप में पन्द्रह फीसदी राशि की कटौती कर शेष 17 लाख रुपये दो माह में लौटाने को कहा है।