राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए: जस्टिस माथुर

जोधपुर। भारतीय विद्या भवन जोधपुर की ओर से कल मातृभाषा दिवस के अवसर पर जस्टिस प्रो. एन.एन. माथुर की अध्यक्षता में मायड़ भाषा दिवस समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रो. कल्याणसिंह शेखावत ने राजस्थानी भाषा एवं साहित्य का परिचय देते हुए इसकी मान्यता की बात उठायी।

जस्टिस माथुर ने मायड़ भाषा राजस्थानी के महत्व को बताते हुए कहा कि जिस प्रभावशाली एवं तथ्यों के आधार पर प्रो. कल्याणसिंह शेखावत ने राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता का पक्ष प्रस्तुत किया है उससे मैं अत्यंत प्रभावित होकर यह कह सकता हूं कि यदि मेरे समक्ष याचिका के रूप में राजस्थानी भाषा की मान्यता की बात रखी जाती तो मेरा निर्णय होता कि राजस्थानी भाषा को मान्यता अवश्य दी जानी चाहिए।

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यही मेरा मत आज भी है। पूर्व अधिष्ठाता, कला, समाज विज्ञान एवं शिक्षा संकाय, जयनारायण व्यास विवि डा. आनंद माथुर ने मायड़ भाषा की आवश्यकता पर बल देते हुए शिक्षा के साथ अनिवार्य रूप से जोडऩे की मांग की। भारतीय विद्या भवन जोधपुर के उपाध्यक्ष जेएम बूब ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

जस्टिस माथुर ने समारोह की अध्यक्षता

राजस्थानी मासिक ‘माणक व दैनिक जलतेदीप के प्रधान संपादक पदम मेहता ने इस अवसर पर मायड़ भाषा राजस्थानी के संवैधानिक मान्यता संबंधी आंदोलनों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें कविता किरण, डा. सुमन बिस्सा, मधुर परिहार एवं दो युवा कवियित्रियों में डा. कात्यायनी व डा. कामायनी जोशी ने कविताएं,गजल व शाइरियों की बानगी से काव्यगोष्ठी को सार्थकता प्रदान की।

ये लोग भी रहे मौजूद

समारोह के अंत में मायड़ भाषा राजस्थानी के उन्नयन, संवर्धन, सृजनशीलता एवं साहित्य में योगदान के लिए लेखकों तथा साहित्यकारों डा. चांदकौर जोशी, डा. सुमन बिस्सा, डा. रणजीतसिंह चौहान, डा. कविता किरण, डा. रेखा भंसाली, डा. अनुलता गहलोत व मधुर परिहार को सम्मानित किया गया। समारोह में डा. राजेन्द्र बारहठ, मनोज सिंह व भीमसिंह राठौड़ सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।