राजस्थानी मोट्यार परिषद ने मातृ भाषा में पाठ्यक्रम तैयार करने की उठाई मांग

राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने प्रोफेसर कल्याण सिंह शेखावत के नेतृत्व में आरएससीईटी की निदेशक प्रियंका जोधावत से की भेंट

जयपुर। प्रदेश के बच्चे राजस्थानी भाषा में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करें इसके लिए राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने वरिष्ठ शिक्षाविद प्रोफेसर कल्याण सिंह शेखावत के नेतृत्व में आरएससीईटी की निदेशक प्रियंका जोधावत से भेंट कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति कि अनुपालना में बालकों को उनकी मां भाषा में शिक्षा देने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने हेतु कहा।

परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शिवदान सिंह जोलावास ने बताया कि हर प्रदेश में बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा दी जा रही है लेकिन राजस्थान के बच्चे अपनी भाषा में शिक्षा नहीं लेने के कारण प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ते जा रहे हैं। विशेषकर आदिवासी दुर्गम क्षेत्र होने से वहां कि अपनी स्थानीय बोली का प्रभाव रहता है ऐसे में हिंदी और अंग्रेजी बच्चों को थोंपी हुई भाषा लगती है।

शिक्षाविद प्रोफेसर कल्याण सिंह ने इस बात को बल देते हुए कहा कि अति शीघ्र बालकों के लिए रोचक पाठ्यक्रम उनके ऐतिहासिक पात्रों, घटनाओं, लोकोक्तियों, मुहावरों के साथ स्थानीय नायकों को लेकर तैयार किए जाने चाहिए। इस अवसर पर विभिन्न तैयार सामग्री को भी देखा एवं यह तय किया गया कि अति शीघ्र राजस्थान को एक सूत्र में पिरोते हुए उनके बालकों के लिए ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया जाए जिससे बालक रुचि से शिक्षा ग्रहण करें।

मोट्यार परिषद के संभाग अध्यक्ष राहुल भाटी ने चेतावनी दी कि देश की 9 भाषाओं में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन हो रहा है, 22 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल कर लिया गया है और प्रदेश की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। वहीं यदि समय रहते सरकार राज्य के 8 करोड़ जनमानस की भाषा को सम्मान नहीं देगी तो नौजवान मजबूर होकर उसका मुखर लोकतांत्रिक विरोध करेंगे एवं अपनी मां भाषा का हक लेने के लिए लड़ेंगे।