राज्यसभा में हुए हंगामे पर बोलते हुए राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू भावुक हुए

संसद के मानसून सेशन में मंगलवार को राज्यसभा में हुए हंगामे पर बोलते हुए राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर की बेअदबी होने से वे रातभर सो नहीं पाए। कल सदन में जो कुछ हुआ, वह लोकतंत्र के खिलाफ है। संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए।

नायडू ने कहा कि विपक्ष सरकार को मजबूर नहीं कर सकता है। सदस्य विरोध कर सकते हैं, लेकिन सभापति को क्या करना है, क्या नहीं करना है इस बारे में नहीं बता सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की पवित्रता जिस तरह नष्ट की गई, उससे आहत हूं। अपनी पीड़ा बताने या निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।

उच्च सदन में हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। मंगलवार को कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह टेबल पर चढ़ गए थे। यही नहीं, बाजवा ने रूल बुक चेयर पर फेंक दी थी। हालांकि, यह सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद हुआ।

लोकसभा के सभापति ओम बिरला ने कहा कि सदन में उम्मीद के मुताबिक काम नहीं हुआ। कम काम होने से दुखी हूं। सांसदों को उच्च मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन सबकी सहमति से चलता है। सहयोग करने वाला रवैया अच्छा होता है। सदन चलाने के लिए सभी दलों से बातचीत की जाएगी।

लोकसभा स्पीकर ने बताया कि लोकसभा में महज 22 प्रतिशत ही काम हुआ। सदन में सिर्फ 21 घंटे ही कामकाज हो पाया। इस दौरान कुल 20 बिल पास हुए। उन्होंने कहा कि संसद में पोस्टर, बैनर सदन की मर्यादा के खिलाफ है। सदन चलाना सबकी जिम्मेदारी है।

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