
बांसवाड़ा। हर दु:ख का निवारण अपने स्तर पर ही करें तभी हम उस दु:ख से दूर हो पाएंगे। यह उदगार बाहुबली कॉलोनी में बिराजित आर्यिका रत्न अर्हम श्री माताजी ने अपने प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संसार के हर प्राणी के अंदर किसी न किसी प्रकार का दु:ख अवश्य होता है। किसी ने पूछा हमारे दु:ख का निराकरण करना हो,तो धर्म के अलावा और कोई उपाय है क्या, जिससे हमारे दुखों का निवारण हो जाए।
हर मनुष्य के जीवन में कुछ न कुछ दु:ख है और उसके निवारण के लिए अपने स्तर पर पर्यंत भी करते हैं। अगर शारीरिक दु:ख तो डॉक्टर के पास जाएगा व पारिवारिक परिस्थिति का अगर कोई दु:खी है, तो उसका निवारण वह अपने परिवार से मिलकर दूर करने की कोशिश करेगा। वियोग अभाव अनेक प्रकार के दु:ख व्यक्ति के जीवन में आते हैं। दु:ख है तो उसे परिवार, समाज कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा। मगर हर व्यक्ति अपनी समस्या का हल पहले अपने स्तर पर दूर करने की कोशिश करता है।
फिर भी अगर नहीं सुलझा तो उसको धर्म के शरण में जाना ही पड़ेगा। गुरु के शरण में जाना ही पड़ेगा इसके अलावा उसको कोई निवारण नहीं कर सकता। इसलिए पहले दु:ख को पहचानने की कोशिश करो और किस तरह का दु:ख है और वह किस तरह से दूर होगा, यह सोचने विचारने का आपको तरीका आना चाहिए तभी आपका दुख दूर होगा। चातुर्मास कमेटी के प्रवक्ता महेंद्र कवालिया ने बताया आचार्य अभिनंदन महाराज की परम शिष्या आर्यिका रत्न प्रशस्तमति माताजी का दीक्षा दिवस मंगलवार को सुबह 8:30 पर मांगलिक भवन में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा ।
फिर भी अगर नहीं सुलझा तो उसको धर्म के शरण में जाना ही पड़ेगा। गुरु के शरण में जाना ही पड़ेगा इसके अलावा उसको कोई निवारण नहीं कर सकता। इसलिए पहले दु:ख को पहचानने की कोशिश करो और किस तरह का दु:ख है और वह किस तरह से दूर होगा, यह सोचने विचारने का आपको तरीका आना चाहिए तभी आपका दुख दूर होगा। चातुर्मास कमेटी के प्रवक्ता महेंद्र कवालिया ने बताया आचार्य अभिनंदन महाराज की परम शिष्या आर्यिका रत्न प्रशस्तमति माताजी का दीक्षा दिवस मंगलवार को सुबह 8:30 पर मांगलिक भवन में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा ।
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