
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार पूरी रफ्तार में नहीं पहुंचा है, यह धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा। आरबीआई की ओर से लगातार बड़ी मात्रा में नकदी की उपलब्धता से सरकार के लिए कम दर पर और बिना किसी परेशानी के बड़े पैमाने पर उधारी सुनिश्चित हुई है। दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी केंद्रीय बैंक उसके लिए पूरी तरह से तैयार है।
फिक्की की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय बैंक प्रमुख ने कहा कि आर्थिक सुधार भी पूरी तरह से नहीं हुआ है। दास ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों से अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप का संकेत मिलता है।
पिछले एक दशक में यह पहला मौका है जब उधारी लागत इतनी कम हुई है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक नकदी की उपलब्धता से सरकार की उधारी लागत बेहद कम बनी हुई है और इस समय बॉन्ड प्रतिफल पिछले 10 वर्षों के निचले स्तर पर हैं।

ऐतिहासिक है शिक्षा नीति
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा का आर्थिक विकास में योगदान रहता है, ऐसे में नई शिक्षा नीति ऐतिहासिक है और नए युग के सुधारों के लिए जरूरी है। अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने में निजी क्षेत्र को अनुसंधान, नवोन्मेष, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
मालूम हो कि कई रेटिंग एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर में गिरावट का अनुमान जताया है। ऐसे में आरबीआई का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है। एशियाई विकास बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में नौ फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी 2020-21 के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर नकारात्मक नौ फीसदी कर दिया था। मूडीज ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.5 फीसदी तथा फिच ने 10.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है। हालांकि, गोल्डमैन सैश का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 14.8 फीसदी की गिरावट आएगी।