आषाढ़ महीने की शुरुआत होते ही सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में इस महीने में आखिर कौन से काम नहीं करने चाहिए और क्या है पूजा का नियम। जेष्ठ महीना 4 जून को खत्म हो जाएगा उसके बाद आषाढ़ मास की शुरुआत होगी। आषाढ़ महीने का हिंदू धर्म में खास महत्व है। ये महीना अपना अलग धार्मिक महत्व रखता है। शास्त्रों के मुताबिक इस महीने की शुरुआत होते ही देव गहन निद्रा में सो जाते हैं और वह देवउठनी एकादशी पर 4 महीने बाद ही उठते हैं. यह महीना भगवान शिव और श्रीहरि की पूजा के लिए बहुत ही खास है. कई अहम त्योहार भी इस महीने में आने वाले हैं। आषाढ़ महीने में देवशयनी एकादशी आती है और जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने के साथ गुप्त नवरात्रि भी आती है। आषाढ़ का महीना कब से शुरू हो रहा है और क्या है इसका महत्व यहां पढ़ें।
कब से आषाढ़ माह की शुरूआत?
आषाढ़ से पहले ज्येष्ठ का महीना आता है। हिंदू पंचांग के अनुसार जब ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आती है और फिर इसकी समाप्ति होती है तब अगली तिथि से आषाढ़ का महीना आरंभ हो जाता है। इस बार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर आरंभ हो जाएगी और इसी के साथ आषाढ़ महीने की भी शुरूआत हो जाएगी। आषाढ़ का महीना 3 जुलाई को खत्म होगा।
हिंदू धर्म में आषाढ़ माह का महत्व
आषाढ़ का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस महीने भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की ही पूजा-आराधना की जाती है। आषाढ़ माह में शिवजी और विष्णुजी दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन में व्यक्ति को हर एक क्षेत्र में सफलताएं मिलती हैं और सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा आषाढ़ माह में भगवान सूर्य की पूजा और अघ्र्य देने से धन-संपदा और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। आषाढ़ मास में कनेर के फूल,लाल रंग केपुष्प अथवा कमल के फूलों से भगवान की विशेष पूजा करनी चाहिए।जो सुवर्ण के समान रंग वाले कदम के फूलों से सर्वव्यापी गोविन्द की इस माह में पूजा करते है,उन्हें कभी यमराज का भय नहीं होगा। तुलसी,श्यामा तुलसी तथा अशोक के द्वारा सर्वदा पूजित होने पर श्री विष्णु नित्यप्रति कष्ट का निवारण करते हैं।
आषाढ़ माह में होता चातुर्मास शुरू
- हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है। चातुर्मास आषाढ़ महीने ही शुरू होता है और पूरे चार महीने का होता है, लेकिन इस बार अधिकमास के चलते चार्तुमास पूरे 5 महीने का होगा। चार्तुमास में किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है।
- सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है ।इसमें आने वाले चार महीने जिसमें सावन,भादौ, आश्विन और कार्तिक का महीना आता है। चातुर्मास के चलते एक ही स्थान पर रहकर जप और तप किया जाता है। बर्षा ऋतु और बदलते मौसम से शरीर में रोगों का मुकाबला करने अर्थात रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।
- आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए इस समय किसी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। मांगलिक कार्यों की फिर शुरुआत कार्तिक मास की देवउत्थान एकादशी के दिन होती है। इस साल चातुर्मास 29 जून से शुरू होगा और इसका समापन 23 नवंबर को होगा।
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