राजस्थान विधानसभा में पारित हुआ सीएए, एनआरसी, एनपीआर तीनों के खिलाफ संकल्प

*संकल्प में लिखा,  देश के एक बड़े वर्ग में आशंका , NPR NRC की ही एक प्रस्तावना है, NPR के नए *प्रावधानों को वापस लेने के बाद ही जनगणना हो
*तीनों के खिलाफ संकल्प लाने वाला राजस्थान पहला राज्य
*अब तक केरल, पंजाब विधानसभा में पेश हो चुका सीएए के खिलाफ प्रस्ताव
*संकल्प में लिखा, तीनों से देश की एकता और अखंडता को खतरा, CAA संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है

जयपुर. विधानसभा में बहस के बाद सीएए, एनआरसी, एनपीआर तीनों के खिलाफ  संकल्प पारित किया गया। भाजपा ने इसका सदन मेंं कड़ा विरोध किया। सदन में पहले संकल्प पेश करते ही भाजपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया, बाद में भाजपा विधायकों ने बहस में भाग लिया।   सीएए, एनआरसी और एनपीआर इन तीनों के खिलाफ संकल्प पारित करने वाला राजस्थान पहला राज्य बन गया है। अब तक अब तक केरल, पंजाब विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव  पारित हो चुका है। विधानसभा में पारित संकल्प में लिखा है कि  सीएए संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है।  देश के एक बड़े वर्ग में आशंका  है कि एनपीआर एनआरसी की ही एक प्रस्तावना है, एनपीआर के नए प्रावधानों को वापस लेने के बाद ही जनगणना के काम हो।

लोगों में आशंका एनपीआर, एनआरसी की ही प्रस्तावना, इसमें किए संशोधन वापस लेकर ही जनगणना करवाई जाए :

संकल्प में लिखा है कि देश के लोगों के एक बड़े वर्ग में यह आशंका है कि राष्ट्रीय जनस्ंख्या रजिस्टर —एनपीआर, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर—एनआरसी— की ही एक प्रस्तावना है, और नागरिकता संशेधन अधिनियम के माध्यम से किए गए हाल के एक संशोधन से जो धाम्रिक आधार पर लोगों मेंं विभ्ज्ञेद करते हैं, जो व्यक्त्यिों के एक वर्ग को भारत की नागरिकता से वंचित करने के लिए बनाए गए हैं। इसके अलावा, देश में रह रहे सभी लोगों से चाही जाने वाली प्रस्तावित अतिरिक्त सूचना से बड़ें पैमाने पर जनसंख्या को बड़ी असुविधा होने की संभावना है जिसका कोइ्र वास्तविक लाभ नहीं होगा। आसाम राज्य इसका जीवंत उदाहरण है। इसलिए केंद्र सरकार सीएए के संशोधन वापस लेने के साथ लोगों के मन में ऐसी आशंकाओं को भी दूर करें, जो एनपीआर मेंं अपडेट के लिए चाही गई हैं, उन्हें भी वापस लेना चाहिए। एनपीआर में संशोधन वापस लेने के बाद ही एनपीआर के अधीन जनगणना का काम हाथ में लेना चाहिए।

सीएए का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद करना है : संकल्प
स्ंकल्प में लिखा है कि हमारे देश के संविधान में यह स्पष्ट कथन है कि भारत एक पंथनिरेपक्ष देश हैं यह संविधान की आधारभूत विशेषता है और इसे बदला नहीं जा सकता। इसके साथ ही संविधान का अनुच्छेद 14 स्पष्ट रूप से यह निश्चित करता है राज्य भारत के राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता ये या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं होगा। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 यानी सीएए का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद करना है। धर्म के आधार पर ऐसा विभ्ज्ञेद संविधान के  प्रतिष्ठित पंथनिरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्ल्ंघन है। आजादी के बाद देश के इतिहास में पहली बार कोई ऐसा कानून लाया गया है जो धर्म के आधार पर लोगों मेंं विभेद करता है। इससे देश का पंथ निरपेक्ष ताना बाना खतरे में पड़ जाएगा। इसके अलावा अलन्य पड़ौसी देश श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल, भूटान, देशों से आने वाले प्रवासियों के संबंध में सीएए में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसा क्यों किया गया, इसकी आशंका भी जनमानस में हैं अयही कारण है कि सीएए का देश भर में व्यापक विरोध हुआ हैं राजस्थान में इसके खिलाफ प्रदर्शन देखे गए हैं जो शांतिपूर्ण रहे हैं।

सीएए को निरस्त किया जाए :
स्ंकल्प में यह भी लिखा है कि यह साफ है कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान के उपबंधों का उल्लंघन करता है। नागरिकता देने में धर्म के आधार पर विभेद से बचने के लिए और भारत में सभी धाम्रिक समूहों को विधि के समक्ष समता सुनिश्चित करने के लिए इस कानून को निरस्त करने के लिए आग्रह करने का संकल्प करता है।