कोरोना वैक्सीन के प्रयोग के लिए रूस कर रहा है जल्दबाली, बढ़ाई चिंता

मास्को। रूस का दावा है कि वह कोरोना वैक्सीन को स्वीकृति देने वाला दुनिया का पहला देश बनने जा रहा है। यहां अक्टूबर से उन वैक्सीन से सामूहिक वैक्सीनकरण किया जाएगा जिनका अभी तक क्लिनिकल परीक्षण ही पूरा नहीं हुआ है। दुनिया भर के वैज्ञानिक चिंतित हैं कि कहीं अव्वल आने की यह कोशिश उलटी न साबित हो जाए। जानकारों का कहना है कि रूस वैक्सीन के दम पर स्पुतनिक (धरती का पहला कृत्रिम उपग्रह) की तरह प्रचारित जीत हासिल करने की सोच रहा है जो दुनिया के पहले कृत्रिम उपग्रह के 1957 में सोवियत संघ के प्रक्षेपण की याद दिलाए। हालांकि, वैज्ञानिक रूस के इस फैसले को असुरक्षित करार दे रहे हैं।

रूस में दो महीने पहले शुरू हुआ था पहला मानव परीक्षण

यहां प्रायोगिक कोविड-19 वैक्सीन का कुछ लोगों पर पहला मानव परीक्षण करीब दो महीने शुरू हुआ था। वैक्सीन बनाने की वैश्विक प्रक्रिया में रूस के दावे को समर्थन देने के लिए अब तक कोई वैज्ञानिक साक्ष्य प्रकाशित नहीं हुए हैं। अब तक यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि उसे इस प्रयास में सबसे आगे क्यों माना जाएगा। जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में वैश्विक जन स्वास्थ्य कानून विशेषज्ञ, लॉरेंस गोस्टिन ने कहा, मुझे चिंता है कि रूस बहुत जल्दबाजी कर रहा है जिससे कि वैक्सीन न सिर्फ अप्रभावी होगी बल्कि असुरक्षित भी। उन्होंने कहा, यह इस तरीके से काम नहीं करता है… सबसे पहले परीक्षण होने चाहिए, जो सबसे जरूरी है।

तीसरे चरण का अध्ययन पूरा होने से पहले मिलेगी अनुमति

इस प्रयास को प्रायोजित करने वाले, रूस के प्रत्यक्ष निवेश कोष के प्रमुख, किरिल डिमित्रीव के मुताबिक, गामालेया अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित वैक्सीन को कुछ दिनों में स्वीकृति दे जाएगी। यह अनुमति वैज्ञानिकों द्वारा तीसरे चरण का अध्ययन पूरा करने से पहले दे दी जाएगी। बता दें कि अंतिम चरण का अध्ययन एकमात्र तरीका है जिससे यह साबित हो सकता है कि कोई प्रायोगिक वैक्सीन सुरक्षित और असरदायक है।

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इस चरण में लाखों लोगों पर परीक्षण किया जाता है। उप प्रधानमंत्री तात्याना गोलिकोवा ने सितंबर में इस वैक्सीन का औद्योगिक उत्पादन शुरू करने का वादा किया है। स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने कहा कि जोखिम समूहों के सदस्यों, जैसे चिकित्सीय पेशेवरों को इस महीने वैक्सीन लगाई जा सकती है। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या वे तीसरे चरण के अध्ययन का हिस्सा होंगे जिसे वैक्सीन को सशर्त मंजूरी मिलने के बाद पूरा किया जाना है।