
आईसीएमआर ने मई 2020 में कोविड-19 के लिए पहला सेरो-सर्वेक्षण किया
नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए सेरो-सर्वे अध्ययन से पता चला है कि देश की 0.73 प्रतिशत आबादी में ही कोविड-19 के जोखिम होने के सबूत दिखे हैं। यह बात गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कही।
उन्होंने बताया कि आईसीएमआर ने राज्यों के स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारत के सहयोग से मई 2020 में कोविड-19 के लिए पहला सेरो-सर्वेक्षण किया।
यह अध्ययन 28,595 घरों और 26,400 व्यक्तियों को कवर करने वाले देश के 83 जिलों में किया गया था। इस अध्ययन के दो भाग हैं जिनमें से सामान्य आबादी में कोविड-19 से संक्रमित आबादी के अंश का अनुमान लगाने का प्राथमिक कार्य पूरा हो चुका है। जब कि इसके दूसरे भाग में हॉटस्पॉट शहरों के कन्टेनमेंट क्षेत्रों में कोविड-19 से संक्रमित होने वाली आबादी के अंश का अनुमान लगाने का दूसरा भाग पूरा होने की प्रक्रिया में है।
आईसीएमआर की गणना के मुताबिक शहरी इलाकों में प्रसार का जोखिम 1.09 गुना अधिक
अध्ययन यह भी स्पष्ट रूप से बताता है कि लॉकडाउन के दौरान किए गए उपाय कोविड-19 के संक्रमण को कम रखने और इसके तेजी से फैलाव और प्रसार को रोकने में सफल रहे हैं। आईसीएमआर ने गणना की है कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी इलाकों में प्रसार का जोखिम 1.09 गुना अधिक है।