आत्मनिर्भर भारत के मूल में मानवता की सेवा है : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि आत्मनिर्भर भारत के मूल में सिर्फ अपने लिए धन-संपत्ति और मूल्य अर्जित करना नहीं, बल्कि मानवता की वृहद सोच और विश्व की भलाई है।

डिजिटल माध्यम से स्वामी चिदभवानंद की ई-भगवत् गीता के लोकार्पण अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में भारत ने दुनिया को ना सिर्फ दवाइयां मुहैया कराई बल्कि अब वह टीके भी उपलब्ध करवा रहा है।

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के मूल में सिर्फ अपने लिए धन-संपत्ति और मूल्य अर्जित करना नहीं है, बल्कि मानवता की सेवा है। हमारा मानना है कि आत्मनिर्भर भारत दुनिया की बेहतरी के लिए है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया कोविड-19 की चुनौती का सामना कर रही है और इसका सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में गीता के दिखाए रास्ते और अहम हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जब दुनिया को दवाइयों की जरूरत पड़ी तब भारत ने इसकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया। हमारे वैज्ञानिकों ने कम से कम समय में टीके का इजाद किया और अब भारत दुनिया को टीके पहुंचा रहा है।

इसे आत्मनिर्भर भारत का बेहतर उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि 130 करोड़ भारतीयों ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प ले लिया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ई-बुक्स युवाओं में विशेष रूप से लोकप्रिय हो रही हैं और ई-भगवत् गीता अधिक से अधिक युवाओं को गीता के महान विचार से जोड़ेगा।

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