
हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी या बासोड़ा का त्योहार मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 15 मार्च 2023 को है। मान्यता है कि इस व्रत के करने से माता शीतला प्रसन्न होती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, शीतला अष्टमी का व्रत करने से दाह ज्वर, पीतज्वर, फोडे-फुंसियां, चेचक, नेत्रों के समस्त रोग और शीतलाजनित दोष दूर हो जाते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि को रोगमुक्त रखने का कार्यभार देवी शीतला को सौंपा था, इसलिए चैत्र कृष्ण अष्टमी को शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है। ये स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी भी हैं। ज्योतिष के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन आप कुछ सरल उपाय करके माता को प्रसन्न कर सकते हैं। शीतला अष्टमी के दिन शीतल जल से ही स्नान करने का विधान है। ये इस बात का भी संकेत है कि इस मौसम से ग्रीष्म ऋतु का आरंभ होता है और शीतल जल शरीर को निरोगी बनाने में मदद करता है।
यह करना ना भूलें

- शास्त्रों के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन अपने घर में झाडू और सूप जरूर लेकर आएं। ऐसा करना शुभ माना गया है।
- शीतला अष्टमी के दिन पूजा करें और शीतला माता पर चढ़ाए हुए जल से आंखों को धोएं।
- इस दिन पूजन करने के बाद माथे पर हल्दी का तिलक व घर के मुख्य द्वार पर परिवार की मंगल कामना हेतु हल्दी के दो स्वास्तिक बनाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि हल्दी का प्रयोग हमें कई गंभीर बीमारियों से बचाकर घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। साथ ही इससे घर का वास्तुदोष दूर होता है।
- शीतला अष्टमी के दिन कुम्हारन को प्रसाद के रूप में कुछ दान-दक्षिणा जरूर देनी चाहिए। माना जाता है कि जब तक कुम्हारन कुछ नहीं खाती है तब तक शीतला माता की पूजा का फल नहीं मिलता।
- शीतला अष्टमी के दिन ऊं ह्रीं श्रीं शीतलायै नम: मंत्र का जप करने से मनुष्यों के सभी कष्ट दूर होते हैं।
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