राज्य स्तरीय हिन्दी दिवस समारोह— युवा गर्व से हिन्दी का प्रयोग करे : दिया कुमारी

दिया कुमारी
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जयपुर। उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी के मुख्य आतिथ्य में तथा विशिष्ट अतिथि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत एवं विधायक सिविल लाइन्स गोपाल शर्मा के विशिष्ट आतिथ्य में शनिवार को जयपुर स्थित सवाई मानसिंह चिकित्सा महाविद्यालय के मुख्य सभागार में राजस्थान सरकार के भाषा एवं पुस्तकालय विभाग द्वारा राज्य स्तरीय हिन्दी दिवस समारोह आयोजित किया गया।

उपमुख्यमंत्री ने हिंदी दिवस की शुभकामनायें देते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि हमें गर्व है कि हम हिन्दी भाषी हैं। हिंदी भाषा जन—जन की भाषा है जो भारत को एकता के सूत्र में बांधती है। हमें राष्ट्र पर गर्व है, तो हमें राष्ट्र की भाषा हिन्दी पर भी गर्व होना चाहिए। अंग्रेजी न जानने पर आत्म विश्वास में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दी सिर्फ एक भाषा या विषय नहीं बल्कि हमारी पहचान है, भावों की अभिव्यक्ति है, एक विस्तृत विचारधारा, सोच और हमारी संस्कृति है। जब भी हम देश के बाहर कहीं जाते हैं और वहां किसी भारतवासी से मिलना होता है और जब उनसे हिन्दी में बात करते हैं तो बड़ी ही आत्मीयता ओर अपनेपन का अनुभव होता है।

दिया कुमारी
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दिया कुमारी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार और भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान की डबल इंजन की सरकार विकसित भारत और विकसित राजस्थान के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। विकसित भारत की यात्रा में हिन्दी सफलता का माध्यम सिद्ध होगी। उपमुख्यमंत्री ने उन सभी महानायकों, महापुरूषों को नमन किया जिनके प्रयासों से हिन्दी को संरक्षण और बढ़ावा मिला, राजभाषा का दर्जा मिला, उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हिन्दी हमारी अपनी भाषा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हिन्दी को बढ़ावा देने में विश्वास रखती है। हमारी सरकार हिन्दी को पढ़ाई का माध्यम बनाने पर जोर दे रही है। पिछली सरकार अंग्रेजी स्कूल पर जोर देती थी किन्तु हमारी सरकार की ओर से दृढ़ता के साथ हिन्दी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

दिया कुमारी
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उन्होंने कहा कि 14 सितम्बर 1949 से हिन्दी अवतरित नहीं हुई थी बल्कि सदियों से है यह भारत की संस्कृति है। हिंदी भाषा अमर है। उन्होंने कहा​ कि डॉ. के. के. पाठक एक संत अधिकारी है। शासन सचिव, कार्मिक विभाग डॉ. के. के. पाठक ने समारोह के मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि भाषा एक प्रवाह है। भाषा सरिता है ,सागर नहीं है। भाषा संवाद का माध्यम है जबकि सागर तो ज्ञान है। संस्कृत, पाली व प्राकृत और हिन्दी भाषा के विकास का अपना इतिहास है। दुनिया की आधी आबादी भारतीय प्रायद्वीप में रहा करती थी। भाषा संस्कृति से संस्कार लेकर आती है। कुछ चीजें आख्यानों अथवा नरेटिव पर निर्भर करती है। जब हम जिव्हा से बोलते है तो शब्द कान तक पहुंचते हैं, हृदय की आवाज़ हृदय तक तथा आत्मा की आवाज़ आत्मा तक पहुंचती है।

दिया कुमारी
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डॉ. के. के. पाठक ने लघु वृतांतों के माध्यम से भाषा के प्रवाह और विकास को समझाया। उन्होंने एक भाषा से दूसरी भाषा के सम्बन्धों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्कृत और हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के मूल शब्दों से अंग्रेजी और फारसी तथा विश्व की अन्य भाषाओं के शब्दों के साथ मेल खाने वाले रोचक उदाहरणों से भाषा के वैश्विक विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने सरलता को अपना कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि सबसे अच्छा छात्र वो है जो स्वयं का शिक्षक बन जाता है और सबसे बड़ा शिक्षक वो है जो जीवन भर छात्र बना रहता है।

दिया कुमारी
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इसी प्रकार डॉ. अखिलेश पालरिया को उनकी पुस्तक” मेरी प्रिय कहानियां”, साहित्यकार विजय जोशी को उनकी पुस्तक “अनुभूति के पथ पर:जीवन की बातें”,डॉ. सतीश कुमार को उनकी पुस्तक “मैं विधायिका हूं”, बजरंगलाल जेठू को “जनसंचार,पत्रकारिता एवं सिनेमा” डॉ.डी.डी. ओझा को पुस्तक “जलशोधन—प्राचीन से अर्वाचीन”,डॉ. दिपक सिंह राजपुरोहित को पुस्तक “नाड़ी दीप विज्ञान”, डॉ. ​सचिन गुप्ता को ” उद्यमिता दृष्टिकोण” डॉ. सुनिता गुप्ता व डॉ एन.के. गुप्ता को “फसल कार्यिकी के मूल सिद्धांत” और डॉ. दीपिका विजयवर्गीय को पुस्तक “चैतन्य महाप्रभू और गौड़िय संप्रदाय” के लिए सम्मानित किया गया।

समारोह में हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले चयनित विद्यार्थियों (बोर्ड परीक्षा, 2024 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक) का संभागवार सम्मान किया गया।निदेशक भाषा एवं पुस्तकालय विभाग मनीष गोयल ने कार्यक्रम के अन्त में सभी का आभार जताया।