
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उसने युद्ध स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने को कहा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मई को उत्तर प्रदेश सरकार को ये आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्टों को ऐसे आदेश देने से बचना चाहिए, जिन्हें पूरा करना असंभव हो। जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने ये रोक उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील के बाद लगाई।
तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अच्छी नीयत से दिया गया है, लेकिन इन्हें लागू करने में मुश्किल है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक महीने के भीतर राज्य के हर गांव में आईसीयू सुविधा के साथ 2 एंबुलेंस दी जाएं। उत्तर प्रदेश में करीब 97 हजार गांव हैं। एक महीने के भीतर इस आदेश को लागू करना मुश्किल है।

मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने कहा कि नर्सिंग होम में सभी बेड्स पर ऑक्सीजन की सुविधा होनी चाहिए। कुछ निश्चित परसेंटेज में वेंटिलेटर्स होने चाहिए। एक निश्चित संख्या वाले नर्सिंग होम में ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट होना चाहिए।