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8753. जो अपणै मन सांच

भैरव डर किण बात रो, जो अपणै मन सांच। आपै परगट होवसी, ओ कंचन ओ कांच।। यदि अपने मन में सत्य हैं, तो फिर डर किस...

8742. त्यों चातर की बात में

ज्यों केळै के पात में, पात-पात में पात। त्यों चातर की बात में, बात-बात में बात।। जिस प्रकार के केले के पत्ते...