यही संयम नियम; विहार समय 8.15 बजे था, ज्यादा भक्तों की प्रतीक्षा किए बिना उपासरा छोड़ चले संत

प्रतापगढ़। जैन संत अपने नियमों के प्रति कितना सजग व गंभीर रहते हैं। इसकी बानगी शनिवार सुबह खातर महल में नजर आई। यहां से संत-साध्वियों की शोभायात्रा सुबह 8.15 बजे रवाना होनी थी। डॉ. समकित व शिष्य भंवात मुनि के साथ 15 मिनट पहले ही कक्ष छोड़कर निकल गए। खराब मौसम के कारण देर होने से दौड़ते-भागते ज्यादातर श्रद्धालु इन्हें रास्ते में मिले।

शहर में तीसरे दिन सुबह भी मौसम के मिजाज बिगड़े हुए थे लेकिन संतों ने इसकी परवाह किए बिना आसमान में देखा और कक्ष छोड़ दिया। हालांकि तब तक प्रमुख पदाधिकारी व कुछ श्रावक-श्राविकाएं पहुंच चुके थे। संत उनकी अनुमति लेकर बाहर निकले। पूरे रास्ते में और लोग जुड़ते गए। केशव माधव सभागार में प्रवचन के बाद महावीर कॉलोनी आए। रविवार का प्रवचन भी यहीं होगा। रास्ते में चित्तौड़ की माटी चंदन है, समकित गुरु को वंदन है, समकित गुरु आप भूल न जाना, वापस जल्दी चित्तौडग़ढ़ आना आदि जयकारों के साथ यात्रा आगे बढ़ती रही।

करेक्ट रहना है तो लाइफ में करेक्शन करते रहें-समकित मुनि…केशव माधव सभागार में प्रवचन देते हुए डॉ. समकित मुनि ने कहा कि हम सभी आत्म मूल्यांकन करें- कि मैं किसी को भी क्या और कैसे देता हूं,? कैसा व्यवहार रखता हूं। क्योंकि जैसा देंगे, वैसा ही पाएंगे। यह प्रकृति का अटल नियम है।

सफल लोग क्या पढ़ते हैं? कैसा आचरण करते हैं? कैसी भाषा बोलते हैं? इस पर निरंतर मनन करें कि मैं भी ऐसा ही कर रहा हूं। मुनि ने कहा कि यदि जीवन में करेक्ट रहना है तो अपने आचरण, व्यवहार व आदतों में करेक्शन करते रहने से नहीं हिचकिचाना चाहिए। संरक्षक प्रो. सीएम रांका, हस्तीमल चंडालिया ने भी विचार रखे।

अध्यक्ष, मंत्री सहित उत्कृष्ट सेवादाताओं का सम्मान… प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि समकित मुनि ने चातुर्मास सफल आयोजन पर संघ अध्यक्ष हस्तीमल चोरडिय़ा और मंत्री अजीत नाहर को अपने हाथ से मंगल भेंट कर उनका अभिनंदन किया। चातुर्मास में विशिष्ट व सराहनीय सेवाएं देने वालों को अध्यक्ष चौरडिय़ा, संरक्षक रांका, न्यू क्लाथ मार्केट सहकारी समिति अध्यक्ष डा. आईएम सेठिया आदि ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया।

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