अमले की नजर सिर्फ पीछोला पर, जलकुंभी का मैदान बना कुम्हारिया तालाब, मछलियों के जीवन पर संकट

उदयपुर। शहरवासियों और पर्यटकों का आकर्षण पीछोला इस बार कम बारिश के कारण बमुश्किल भर पाया है। नगर निगम और जिला प्रशासन की नजरें इसी पर रहती है, लेकिन इसका हिस्सा कुम्हारिया तालाब बदहाली का शिकार है। इसमें जलकुंभी और जलीय घास इतनी हो चुकी है कि पानी तक नहीं दिखता।

झील के कुछ हिस्सों के आस-पास से बदबू आने लगी है। झील के किनारे कुम्हारिया तालाब, अमरकुंड, बागोर की हवेली के किनारे बड़ी मात्रा में जलीय खरपतवार फैल रही है। झील प्रेमी तेजशंकर पालीवाल ने बताया कि कि कुम्हारिया का तालाब तो जलकुंभी के कारण हरे घास के मैदान जैसा दिखने लगा है। शहर कांग्रेस सेवादल जिला कौशल आमेटा का कहना है कि निगम ने झील की साफ-सफाई के लिए करीब 50 लोग लगा रखे हैं, लेकिन सफाई करते समय दिखाई नहीं देते हैं। झीलों में घास पूरी तरह फैल चुकी है।

झील हितैषियों का कहना है कि डिविडिंग मशीन पर खर्च हो रहा है, लेकिन उसका तेजी से इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इससे झीलों की खूबसूरती पर दाग लगते जा रहे हैं। डिविडिंग मशीन सिर्फ होटलों के आस-पास सफाई करती रहती है। झील के शेष क्षेत्र में इससे सफाई की ही नहीं जाती है। अनदेखी का आलम ये है कि झीलों के जल का ऑक्सीजन स्तर सुधारने के लिए करीब 60 लाख रुपए लागत से लगाए गए तीनों फव्वारे 6 माह से बंद हैं। इससे मछलियों और जलीय जीवों के जीवन को खतरा पैदा हो गया है।

सफाई करने पहुंची टीम की नाव फंसी, डिप्टी मेयर बोले- फतहसागर के बाद अब पीछोला की भी सफाई करा रहे हैं एक माह पहले झील में उगी जलकुंभी और घास निकालने के लिए 5 लोगों की टीम अंदर गई थी, लेकिन उनकी नांव कांटों में फंस गई। ऐसे में टीम को सफाई किए बगैर ही बैरंग लौटना पड़ा। टीम ने जैसे-तैसे बमुश्किल नांव को किनारे लगाया गया।

हालांकि इस मामले में डिप्टी मेयर पारस सिंघवी का कहना है कि निगम ने डिविडिंग मशीन पहले फतहसागर झील की सफाई के लिए लगाई थी और अब मशीन से पीछोला में सफाई की जा रही है। किनारे और घाटों की सफाई का काम भी चल रहा है। कुम्हारिया तालाब को भी साफ करा दिया जाएगा। झीलों की साफ-सफाई के लिए नगर निगम पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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