एक मात्र दुनिया का वीरान आइलैंड, आखिर क्या राज है इसका कोढ़ बीमारी से

कुष्ठ रोग यानी कोढ़ एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज तो मुमकिन है लेकिन तमाम कोशिशों के बाद कई बार ये रोग पूरी तरह से ठीक नहीं होता। भारत सरकार पिछले कई दशक से इस बीमारी से देश को निजात दिलाने के लिए काम कर रही है। दुनिया के आधे से ज्यादा नए कुष्ठ रोगी भारत में ही होते हैं।

कोढ़ को बहुत बुरी बीमारी माना जाता है। सदियों से इसके शिकार लोगों को समाज से अलग-थलग करने का प्रथा चलती रही है। पहले तो कोढ़ के शिकार लोगों को एकदम अलग ही रखा जाता था। बाद में उनके लिए कुष्ठ रोगी आश्रम बनाए जाने लगे। भारत में आज भी कई कुष्ठ रोगी आश्रम चलते हैं।

भारत में ही नहीं बल्कि पश्चिमी देशों में भी कोढ़ के मरीजों के साथ ऐसा ही सुलूक किया जाता रहा है। यूरोपीय देश ग्रीस या यूनान में तो एक जजीरा यानी द्वीप को कोढ़ के मरीजों के लिए अलग कर दिया गया था। इस द्वीप का नाम है स्पिनालॉन्गा। ये यूनान के सबसे बड़े द्वीप क्रीट के पास स्थित है। स्पिनालॉन्गा का कुल क्षेत्रफल 8.5 हेक्टेयर का है।

ये भूमध्य सागर मे मिराबेलो की खाड़ी के मुहाने पर स्थित है। अब इस द्वीप पर कोई नहीं रहता और अब ये वीरान पड़ा हुआ है. हालांकि कभी कभार कुछ लोग यहां घूमने पहुंच जाते हैं। ये द्वीप क्रीट के गांव प्लाका से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है, मगर उसमें बहुत कम लोगों की दिलचस्पी है।

बता दें कि किसी जमाने में स्पिनालॉन्गा द्वीप एक बड़ा फौजी अड्डा हुआ करता था। पहले वेनिस के राजा ने यहां पर सैनिक अड्डा बनाया था. बाद में तुर्की के ऑटोमान साम्राज्य ने यहां पर किलेबंदी कर के रखी. 1904 में क्रीट के निवासियों ने तुर्कों को अपने देश से खदेड़ दिया।

इसके बाद स्पिनालॉन्गा को कोढ़ के मरीजों का अड्डा बना दिया गया। एक वक्त में इस द्वीप पर करीब 400 कोढ़ के मरीज रहा करते थे। क्रीट और यूनान के दूसरे हिस्सों से कुष्ठ रोगियों को यहां लाकर रखा जाता था। और उनकी पहचान खत्म कर दी जाती थी। इसके साथ ही उनकी संपत्तियां छीन ली जाती थीं।

स्पिनालॉन्गा द्वीप पर कुष्ठ के मरीजों के इलाज का भी कोई इंतजाम नहीं था. एक डॉक्टर यहां तैनात किया गया था, मगर वो भी तब आता था जब इस द्वीप पर रहने वाले कोढ़ी को कोई और बीमारी हो जाती. 1940 के दशक में वैज्ञानिकों ने कोढ़ का इलाज खोज निकाला था।

मगर, यूनान की सरकार ने स्पिनालॉन्गा में रहने वालों के इलाज की कोशिश ही नहीं की। कोढ़ के मरीजों का ये केंद्र 1957 तक चलता रहा था। 1957 में एक ब्रिटिश एक्सपर्ट ने यहां का हाल देखा और पूरी दुनिया को बताया। उसके बाद यूनानी सरकार को बेेहद शर्मिंदा होना पड़ा।

जिसके बाद यहां के सभी लोगों को इलाज के लिए ले जाया गया और कुष्ठ रोगी आश्रम बंद कर दिया गया. जब यहां के कोढ़ के मरीज चले गए तो स्पिनालॉन्गा द्वीप वीरान हो गया. अब यहां कोई नहीं रहता।

बता दें कि इस द्वीप पर अब आपको पुरानी इमारतों के खंडहर ही मिलेंगे. वहीं कोढयि़ों के लिए बनाए गए बाजार के सबूत भी मिल जाते हैं। इस द्वीप पर आपको एक भट्टी भी मिल जाएगी जिसमें कोढयि़ों के कपड़े जलाए जाते थे।