फिर बढ़ रही है मारुति सुजुकी कारों की कीमतें

नई दिल्ली। कार निर्माण के क्षेत्र में लीडिंग कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड सितंबर में अपनी कारों की कीमतों में बढ़ोतरी करेगी। यह तीसरी बार होगा जब मार्केट की दिग्गज ऑटो कंपनी ने इस साल कीमतों में बढ़ोतरी करने जा रही है। कंपनी ने जनवरी 2021 में पहली बढ़ोतरी के तहत 1 से 6 फीसदी तक दाम बढ़ाए थे। जिससे मारुति की कारें मॉडल के आधार पर 5,000 रुपये से 34,000 रुपये के बीच महंगी हो गईं थीं। इसके बाद अप्रैल में एक और संशोधन के चलते इसकी कीमतों में और वृद्धि देखने को मिली। हालांकि जुलाई में केवल सीएनजी वाहनों के संस्करणों पर ही बढ़ोतरी की गई थी। जिसमें 10,000 रुपये और 15,000 रुपये के बीच कीमतें बढ़ाईं गईं। इस तरह यह कंपनी के विभिन्न मॉडलों की कीमतों में तीसरी बड़ी वृद्धि के रूप में देखा जा रहा है। कंपनी ने आठ हैचबैक, दो सेडान, एक एसयूवी कार, दो क्रॉसओवर कार, तीन एमयूवी सहित कुल 16 मॉडल पेश किए हैं और वर्तमान में जुलाई 2021 तक बाजार हिस्सेदारी 48.61 प्रतिशत है। कंपनी ने कच्चे माल की लागत वृद्धि का हवाला देकर यह कीमतें बढ़ाई हैं। हालांकि बाजार में तेजी के माहौल को देखते हुए, अगर कोरोना की तीसरी लहर भारत में विकराल रूप नहीं लेती है तो त्यौहारी सीजन इस बार धमाकेदार होने की पूरी संभावना हैं। जिसका सीधा असर मारूति कारों की बम्पर सेल पर हो सकता है।

मारुति सुजुकी अपने वाहनों की कीमतों में कितनी बढ़ोतरी कर सकती है?

जनवरी में, कंपनी ने 1.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी, और उसके बाद अप्रैल में 1.6 प्रतिशत की एक और बढ़ोतरी की गई थी। जुलाई में भी सीएनजी संस्करणों पर 15 हजार तक की वृद्धि की गई थी। हालांकि एमएसआईएल ने सितंबर में वृद्धि की कीमतों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह लगभग 3-4 प्रतिशत हो सकती है और यह अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। आपको बता दें कि 2021 में, लगभग सभी ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने कमोडिटी की कीमतों में तेज वृद्धि के अनुरूप अपनी कीमतें बढ़ाईं हैंं।

maruti suzuki cars
maruti suzuki cars

कमोडिटी उत्पादों की कीमतों में असामान्य तेजी भी वृद्धि का कारण

मारूति सुजुकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले 15 महीनों से इनपुट कॉस्ट का दबाव बना हुआ है। अब तक, रूस्ढ्ढरु ने अपनी कीमतों में आनुपातिक रूप से वृद्धि नहीं की है, उम्मीद है कि लागत कम हो जाएगी। हालांकि, चूंकि कमोडि टी की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं, हमारे पास एक और बढ़ोतरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, और इस बार, यह पर्याप्त बढ़ोतरी होगी। हालांकि उन्होंने बढ़ोतरी की मात्रा के बारे में नहीं बताया, लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह 3 से 4 प्रतिशत के बीच कहीं भी हो सकता है। अप्रैल 2020 के बाद से, कमोडिटी की कीमतों में उल्लेखनीय उछाल आया है, विशेष रूप से धातु और कीमती धातुओं का जो उत्पादन में उपयोग किया जाता है। श्रीवास्तव ने कहा कि जहां स्टील की कीमतें मई 2020 में लगभग 38,000 रुपये प्रति टन से बढ़कर अब 65,000 रुपये प्रति टन हो गई हैं, वहीं इसी अवधि में तांबे की कीमत 5,200 डॉलर प्रति टन से लगभग दोगुनी होकर 10,200 डॉलर प्रति टन हो गई है। इसी अवधि में एल्युमीनियम की कीमत भी करीब 80 फीसदी बढ़ी है। यहां तक कि रोडियम की कीमत, जो उत्प्रेरक कन्वर्टर्स में उपयोग की जाती है और कड़े उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने में मदद करती है, मई 2020 में 18,000 रुपये प्रति ग्राम से बढ़कर अब 64,000 रुपये प्रति ग्राम हो गई है। यह बात भी सामने आ रही है कि दुनिया भर में वाहन निर्माण में रोडियम का उपयोग बढ़ गया है, यह भी कीमत बढऩेे का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। शंशंांक श्रीवास्तव ने आगे बताया कि लगता है कि कीमतों में बढ़ोतरी से त्योहारी मांग पर असर पड़ेगा, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है क्योंकि वे कीमतों में बढ़ोतरी को और टाल नहीं सकते हैं।