
जोधपुर। समाज को लौटाओ अभियान के सक्रिय समाजकर्मी एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान समिति के वरिष्ठ कार्यकत्र्ता सुज्ञाननाथ मोदी की हाल ही में प्रकाशित कृति महात्मा से महात्मा का विमोचन कार्यक्रम गांधीभवन में सादगीपूर्ण समारोह आयोजित किया गया।
गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के संस्थापक सचिव नेमिचंद्र जैन ‘भावुक‘ की प्रतिमा के समक्ष उनके आशीर्वाद स्वरूप पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में गांधीभवन के उपाध्यक्ष डाॅ ओ पी टाक ने कहाकि यह पुस्तक महान आध्यात्मिक विभूति श्रीमद् राजचंद्र तथा राष्ट्र्पिता महात्मा गांधी के आपसी सम्बंधों का प्रामाणिकता के साथ उद्घाटित करती हैं।
श्रीमद् राजचंद्र ने ही महात्मा गांधी के जीवन में आध्यात्मिकता की नींव रखी हैं। जिसे आधार बनाकर गांधीजी ने अपने राजनैतिक संघर्षों की भूमिका तैयार की। यह पुस्तक दोनों महान विभूतियों के बारे में नई जानकारियाॅं प्रदान करती है। डाॅ टाक ने कहा कि यह गर्व की बात हैं कि सुज्ञानजी ने गांधीजी के जीवन के एक अल्पज्ञात पृष्ठ को खोला हैं जिसे पढ़े बिना उनके मानस को समझना कठिन हैं।
धर्म और अध्यात्म गांधीजी के विचारों की बुनियाद
इस अवसर पर गांधीभवन के सचिव डाॅ भावेंद्र शरद जैन ने कहा कि धर्म और अध्यात्म गांधीजी के विचारों की बुनियाद हैं जिसे उन्होैंनें श्रीमद् राजचंद्र की संगति में रहकर पाया था। यह पुस्तक बताती हैं कि किस प्रकार जब युवा महात्मा गांधी की गहरी मित्रता अपने एक हम उम्र साधक श्रीमद् राजचंद्र से हुई तो वहीं से उनके महात्मा गांधी बनने का पथ प्रशस्त हुआ। डाॅ जैन ने कहा कि सुज्ञाननाथ मोदी ने यह पुस्तक रचकर एक महत्वपूर्ण कार्य किया हैं। संचालन बादलराज सिंघवी ने किया।
महत्तों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही
इस अवसर पर प्रकाशक किताबघर के विज्ञान मोदी, मीडिया संचार पीआईबी के अधिकारी आशीष वर्मा, मदनराज कर्णावट, पल्लवी टाटिया, नवीन चितारा, गौतम के गट्स, कमलेश जयपालसिंह चांपावत, मंजय कुमार एवं मोहन महत्तों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम के अंत में गांधीभवन के कार्यकत्र्ताओं ने सुज्ञाननाथ मोदी का अभिनंदन किया तथा मोदी ने अपनी कृति ‘महात्मा से महात्मा‘ सादर भेंट की ।