
- कोविड से बेरोजगार हुए लोगों को मिले ऑनलाइन प्रशिक्षण: प्रो. वर्मा
- एमयूजे के लीडरशिप सेमिनार में एआईसीटीई चेयरमैन ने दिए संकेत
जयपुर । मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर में शनिवार को आयोजित लीडरशिप वेबिनार में शिक्षा जगत की शीर्ष हस्तियों ने मौजूदा चुनौतियों के चलते शिक्षण प्रणाली के आने वाले बदलावों पर चर्चा की। एआईसीटीई के चेयरमैन ने प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने जहां शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षण की भूमिका दोगुनी होने के संकेत दिये वहीं साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड के प्रमुख प्रो. संदीप वर्मा ने आय का वैकल्पिक स्रोत होने वाले ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की जरूरत पर जोर दिया। एमयूजे के प्रेसिडेंट प्रो. जी. के. प्रभु ने कहा कि राजस्थान के सर्वप्रथम नैक ए प्लस विवि मणिपाल विश्वविद्यालय में तकनीक और शिक्षा की मौलिक अवधारणाओं में बेहतरीन संगम है। एमयूजे के प्रो. प्रेसिडेंट प्रो. एन एन शर्मा ने विवि में शोध की विशेषताओं पर जोर दिया।
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कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन के एंकर प्रो. पुनीत शर्मा और एमयूजे की डिप्टी रजिस्ट्रार एकेडेमिक्स, डॉ. नीतू भटनागर ने किया। लीडरशिप वेबिनार में मीडिया एजुकेशन फॉर जेनरेशन जेड विषय पर विचार व्यक्त करते हुए एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि शिक्षा जगत में परंपरा के साथ तकनीक का संगम अब टाला नहीं जा सकता। भारत सरकार ने कोविड 19 से काफी पहले ही ऑनलाइन प्लेटफार्म ‘स्वयं’ के जरिए बीस फीसदी पाठ्यक्रम संचालित करने की जरूरत पर जोर दिया था। मौजूदा चुनौतियों के चलते ऑनलाइन पाठ्यक्रम की सीमा दोगुनी हो सकती है।
इससे समस्याएं नहीं नई संभावनाएं भी पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि ‘सेलेबस कवर’ करने की बजाय ‘सेलेबस अनकवर’ करने की जरूरत है। क्योंकि दुनिया की हर चुनौती नयी पीढ़ी की अपनी चुनौती है। शिक्षकों का महत्व कम होने की बजाय बढऩे का संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि ऑनलाइन से मिले ज्ञान पर विश्वविद्यालयों में चर्चा होने पर जरूरत है।
बतौर मुख्य अतिथि प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि जेनेरेशन जेड के साथ सामंजस्य और संतुलन बनाना जरूरी है और यह तभी हो सकता है जब हम थोड़ा उन्हें समझे और अपने को भी उन्हें समझने दें। इसके लिए सही सवांद जरूरी है। यह फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम से ही संभव है। उन्होंने कोविड के दौरान क्लासरूम में सोशल डिस्टेंसिंग के तीन मॉडल सुझाए।
मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर एमयूजे प्रेसिडेंट प्रो. जी. के. प्रभु ने कहा कि राजस्थान के सर्वप्रथम नैक ए प्लस विवि मणिपाल विश्वविद्यालय में तकनीक और शिक्षा की मौलिक अवधारणाओं में बेहतरीन संगम है।
उन्होंने कहा कि एक मॉडल यह हो सकता है कि छात्रों को अलग-अलग बैच में बांट दिया जाए और उन्हें दो-तीन दिन के अंतराल पर कॉलेज बुलाया जाए। दूसरे मॉडल में उन्होंने कहा कि क्लॉस को ट्यूटोरियल मोड पर भी आयोजित कर सकते हैं। तीसरे मॉडल में क्लास के कुछ छात्र जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है उन्हें फिजिकल और कुछ बच्चों को ऑनलाइन मोड पर पढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही फैकल्टी को चाहिए हर छात्र को 25 फीसदी कोर्स पढ़ा दे, और बाकी को ऑनलाइन प्लेटफामर्स से खुद पढऩे के लिए मोटिवेट करें। इससे छात्रों में सेल्फ स्टडी की आदत बनेगी।
कोविड के बाद से न्यू नॉर्मल लाइफ और एजुकेशन सिस्टम से जुड़े एक सवाल पर प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि पहले ही यूजीसी और एआईसीटीई के सहयोग से स्वयं पर करीब 20 फीसदी ऑनलाइन स्टडी मटैरियल उपलब्ध कराया जा चुका है। अब इसको 40 फीसदी तक करने की योजना है। उन्होंने कहा कि अधिकतर कंपनियों के प्रोडक्ट अगस्त से नवंबर के बीच लॉन्च होते हैं जबकि छात्रों को इंटर्नशिप के लिए अप्रेल-मई में मौका दिया जाता है। अगर विश्वविद्यालय अपने सेमेस्टर में बदलाव करें और इंटर्नशिप अगस्त से नवंबर के बीच रखते हैं तो छात्रों को अधिक सीखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर छोटी-छोटी कंपनियां और स्टार्टअप एक साथ मिलकर काम करते हैं तो ज्यादा लाभ होगा।
उन्होंने कहा एआईसीटीई आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए 25 फीसदी सीटें सुरक्षित रखता है। सबको बराबर मौका दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आज का युवा अलग है। इसलिए टीचिंग लर्निंग प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है। जेनेरेशन जेड को समझकर शिक्षा प्रणाली में बदलाव होना चाहिए।
साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड के सचिव प्रो. संदीप वर्मा ने मणिपाल विश्वविद्यालय के फैकल्टी, स्टूडेंट्स और रिसर्च स्कॉलर्स को संबोधित करते हुए कहा कि हमें इस तरह से तैयार रहना चाहिए कि लॉकडाउन जैसी चीजें भी आ जाए तो भी हमारी शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होने चाहिए। हमें केवल जेनेशन जेड को फोकस नहीं करना चाहिए। हमें उन लोगों पर ध्यान देना चाहिए जिनकी एक उम्र हो चुकी है। उनकी उम्र 40-45 वर्ष हो चुकी है लेकिन वह कुछ सीखना चाहते हैं। उनके ऊपर भी परिवार की जिम्मेदारी भी है। सबको इस बात का डर रहता है कि बिना रिसर्च के आप अच्छे शिक्षक नहीं हो सकते हैं।
आज के बच्चे ज्यादा पढ़ते हैं। उन्हें कुछ बातें पढ़ाकर अच्छे शिक्षक नहीं बन सकते हैं। जब हम रिसर्च करके पढ़ाते हैं तो उनको अपने टीचिंग में भी जोड़ते हैं। इसके दो पॉइंट हैं। जब आप अच्छे रिसर्चर होते हैं तो अच्छे शिक्षक होते हैं। तभी अच्छे से पढ़ा सकते हैं। हर बिंदु को विस्तार से समझा पाते हैं।
अगर रिसर्च फिलॉफिसी को क्लासरूम में लेकर जाते हैं तो ही अच्छे शिक्षक हो सकते हैं क्योंकि आज का युवा पढऩे के बाद केवल रोजागार नहीं ढूंढना चाहते हैं। वे इनोवेशन और नए स्टार्टअप से दूसरों को भी रोजागर देना चाहते हैं। प्रो. वर्मा ने कहा कि ब्राजील में रिसर्च कैफे हैं जहां लोग जाते हैं और अपने आइडिया शेयर करते हैं। अपने यहां भी ऐसा होना चाहिए। अगर कोई छात्र रिसर्च का आइडिया लेकर आता है तो उसको सब सपोर्ट करें। विवि में सपोर्ट सिस्टम होना चाहिए।
अगर कोई फैकल्टी रिसर्च करना चाहता है तो उसको मदद करें। इसके लिए बेहतर रिसर्च सिस्टम डेवलप करें। देश-दुनिया के अच्छे संस्थानों के फैकल्टी को जोड़ें ताकि आपके यहां के छात्रों और नए फैकल्टी को उनसे लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि साइबर फिजिकल सिस्टम एक नया क्षेत्र है जहां छात्र अपना भविष्य बना सकते हैं। भारत सरकार की ओर से चार हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें साइबर सिक्योरिटी, एनर्जी, एग्रीकल्चर आदि को एक साथ जोडऩे का अच्छा माध्यम है।
बेबिनार का संचालन करते हुए दूरदर्शन के जाने माने एंकर और टेक्नीकल एजुकेशन एक्सपर्ट प्रो. पुनीत शर्मा किया। वेबिनार में मणिपाल विवि जयपुर के प्रेसिडेंट प्रो. जी.के. प्रभु ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि नया विश्वविद्यालय होने के बाद बावजूद भी मणिपाल विश्वविद्यालय को हाल ही में नैक ए ग्रेड मिलना हमें और आगे काम करने के लिए प्रेरणा देता है।
यहां के ग्रीन कैंपस को पूरे उत्तर भारत में सराहना मिली है। कई अवॉड्र्स भी मिले हैं। यहां आठ हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं। इनमें पांच सौ रिसर्च स्कॉलर हैं। 60 अलग-अलग विभागों में 450 से अधिक फैकल्टी हैं। इनमें 75 फीसदी से अधिक पीएचडी हैं। विश्वविद्यालय के प्रो प्रेसिडेंट प्रो एन. एन. शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय को भारत सरकार की ओर से प्रोजेक्टस मिलना हमें शोध के क्षेत्र में हमें निरंतर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

इस साप्ताहिक वेबिनार का एक अहम मकसद कोविड-19 से उपजी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए नयी पीढ़ी को तैयार करना है। इसकी अगली कड़ी दिनांक 13 जून को ‘मेक अ डेंट: स्प्राउटिंग, इनोवेशन एंड स्टार्टअप विषय पर केन्द्रित होगी। इसमें अटल इनोवेशन मिशन के डायरेक्टर और भारत सरकार के नीति आयोग के एडिशनल सेक्रेटरी डॉ. रमानन रामनाथन और एंटरप्रेन्योर, ऑथर, स्पीकर और कोच जीत कुमार संबोधित करेंगे।
वेबिनार में 20 जून को पौराणिक पात्रों को युवाओं में फिर से लोकप्रिय करने वाले लेखक और नेहरू केन्द्र, लंदन के निदेशक अमीश त्रिपाठी लिटरेचर फॉर लाइफ विषय पर संबोधित करेंगे। अमीश त्रिपाठी, साहित्य- संस्कृति से युवाओं के संबंधों से अवगत कराएं। साथ ही पौराणिक पात्रों के आधुनिक दुनिया से रिश्ते पर भी रोशनी डालेंगे।
इसी तरह आगे की साप्ताहिक वेबिनार में 27 जून आध्यात्मिक जगत पर, चार जुलाई की सामाजिक मुद्दों पर और 11 जुलाई को उद्योग, व्यापार और प्रबंधन जैसे मुद्दों पर देश के शीर्ष वक्ताओं का संबोधन होगा। वेबिनार में मणिपाल विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रो. जी.के. प्रभु, प्रो. प्रेसिडेंट प्रो. एन.एन. शर्मा और रजिस्ट्रार प्रो. रविशंकर कामथ एच समेत विवि के सभी शिक्षक, अधिकारी और छात्रों के साथ उनके अभिभावक भी मौजूद थे।