सोश्यल एंटरप्रिन्योरशिप का दो दिवसीय काॅन्क्लेव सम्पन्न

जयपुर। मणिपाल यूनिवर्सिटी, जयपुर (एमयूजे) में वेस्ट वैल्थ एंड एंटरप्रिन्योरशिप विषय पर आयोजित दो दिवसीय इंडस्ट्री-एकेडमिया काॅन्क्लेव का समापन हुआ। यह एमयूजे की ओर से तथा महात्मा गांधी नेशनल काउंसिल आफ रूरल एजुकेशन और भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के सहयोग से आयोजित किया गया।

यह मुख्य रूप से उद्योग व शिक्षा के बीच अनुकूल वातावरण बनाने के उद्देश्य से वेस्ट मैनेजेंमेंट व सोश्यल एंटरप्रिन्योरशिप के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने पर आधारित रहा। इसमें महात्मा गांधी नेशनल काउंसिल आफ रूरल एजुकेषन के चेयरमेन, डॉ. डब्ल्यू. जी. प्रसन्ना कुमार मुख्य अतिथि थे। उन्होंने स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए वेस्ट तथा पर्यावरण और समाज पर उनके हानिकारक प्रभावों के अनुचित प्रबंधन के बारे में जानकारी दी।

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उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट की प्रभावी तकनीक के तौर पर वेस्ट से वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट बनाने पर जोर दिया। सरकार व अन्य नियामक अधिकारियों के अतिरिक्त यह युवा रिसर्चर्स, इंजीनियर्स व स्टूडेंट्स का भी कर्तव्य है कि वे विशेष रूप से ई-वेस्ट का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने हेतु इनका वैज्ञानिक समाधान प्रस्तुत करें, वरना यह भविष्य में पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।

एंटरप्रिन्योरशिप काॅन्क्लेव की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला

एमयूजे के प्रेसीडेंट, डॉ. जी. के. प्रभु ने एंटरप्रिन्योरशिप कॉन्क्लेव की अध्यक्षता की। उन्होंने इस प्रकार के काॅन्क्लेव की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला, जिनके जरिए स्टूडेंट्स को उद्योग जगत, शिक्षा व रिसर्च से जुड़े लोगों के साथ वार्तालाप करने का उचित मंच मिलता है। बायोफ्यूल आथेरिटी राजस्थान के सीईओ, सुरेंद्र सिंह राठौड़ काॅन्क्लेव के गेस्ट ऑफ ऑनर थे।

स्टार्ट अप विचारों के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया

उन्होंने स्टूडेंट्स को अपने ज्ञान का उपयोग करने तथा अपने स्वयं के स्टार्ट अप विचारों के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि कार्बन फुटप्रिंट को यदि उचित तरीके से नहीं संभाला गया तो यह दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बन जाएगा। काॅन्क्लेव के दौरान वेस्ट हैंडलिंग व इसके ट्रीटमेंट क्षेत्रों की मौजूदा चुनौतियों व आगामी अवसरों पर भी चर्चा की गई।