हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवा को लेकर अमेरिका मीडिया ने उठाए ट्रंप पर सवाल

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन, hydroxychloroquine
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन, hydroxychloroquine

विश्व शक्ति यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका यानि यूएसए को के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन की दवा की मांग की है। हालांकि, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवा का निर्यात बंद था लेकिन, ट्रंप की मांग पर भारत सरकार ने इसकी इजाजत दे दी।

इसके बाद से भारत में बनी इस दवा का महत्ता और बढ़ गई और यह दवाई चर्चा का विषय बनी हुई है। अब अमेरिका का मीडिया भी इस दवाई को काफी रुचि दिखा रहा है अपने कवरेज में ज्यादा से ज्यादा इस दवाई को जगह दे रहा है।

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवा बनाने वाली कंपनी के ट्रंप के रिश्ते बताए गए हैं

भारत में यह दवाई दशकों से मलेरिया में उपचार के काम आती है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से तुरंत मंजूरी के बाद, कुछ अन्य दवा के संयोजन के साथ मलेरिया की दवा का उपयोग करके न्यूयॉर्क में लगभग 1,500 कोरोना रोगियों का उपचार किया जा रहा है।

मुश्किल समय में ट्रंप चाहते हैं कि यह दवा भारत से आयात कर कारोना पीडि़तों के इलाज में काम आ सके। कुछ शुरुआती परिणामों के आधार पर ट्रंप प्रशासन कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन का उपयोग करने पर जोर दे रहा है।

अमेरिका के अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर इस बात का खुलासा किया गया है कि न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन को दुनियाभर में कोरोना के इलाज के लिए अनुमति मिलती है तो उससे ये दवा बनाने वाली कंपनियों को बहुत फायदा होगा। ऐसी ही एक कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का शेयर है।

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का शेयर है

साथ ही उस कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते हैं. वेबसाइट पर लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप का फ्रांस की दवा कंपनी सैनोफी को लेकर व्यक्तिगत फायदा है. कंपनी में ट्रंप का शेयर भी है। ये कंपनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवा को प्लाकेनिल ब्रांड के नाम से बाजार में बेचती है।

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मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन बेहद कारगर दवा है ।भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं। इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं।