
कोटा। दशलक्षण महापर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म मनाया गया। बालिता रोड स्थित श्री पदमप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर मे विराजमान बालाचार्य निपूर्णनंदी महाराज ससंघ के सानिध्य में सुबह भगवान अभिषेक हुए। चातुर्मास समिति अध्यक्ष ताराचंद बड़ला ने बताया कि प्रथम शांतिधारा का सौभाग्य बाबूलाल जैन परिवार को मिला। आचार्यश्री से शांतिधारा की सम्पूर्ण क्रियाएं संपन्न हुई।
चातुर्मास समिति महामंत्री पारसचंद ने चित्र अनावरण और दीप प्रज्वलन सुगनचंद जैन ने किया। मंदिर समिति अध्यक्ष गणपतलाल जैन ने बताया कि गुरुदेव के पाद- प्रक्षालन, शास्त्र भेंट निर्मल कुमार जैन ने किए। राजवीर गंगवाल ने बताया कि महिला मंडल ने आर्यिका माताजी को शास्त्र भेंट कर आशीर्वाद लिया। अशोक पापड़ीवाल ने बताया कि दशलक्षण विधान के सौधर्म इंद्र बाबूलाल जैन बने।

बालाचार्य निपूर्णनंदी महाराज ने उत्तर मार्दव धर्म की व्याख्या करते कहा कि अहम् कम होना और मद का हटना, यही उत्तम मार्दव धर्म है। मनुष्य में मान का इतना मद है कि वो स्वयं को इसमें उलझा देता है। उसका नशा इतना होता है कि अब उस मान के खातिर वह उसी में डूबा रहता है। उत्तम मार्दव धर्म को बहुत से उदाहरण के साथ बहुत ही सरल तरीके से उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया।
श्रावकों ने जयकारा लगाकर अनुमोदना की। इसके बाद सभी मुनिराजों और आर्यिकाओं की आहार चर्या के लिए पडग़ाहन हुआ। दोपहर में तत्वार्थ सूत्र की कक्षाएं चल रही है। जिसमे समाजबंधु भाग ले रहे हैं। सांयकालीन बेला मे भगवान की आरती के बाद गुरुदेव की संगीतमय आरती हुई। संगीतकार पुष्पेन्द्र जैन ने पंच परमेषठी की आरती हुई। रात्रि 8 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। वीरेन्द्र मारवाड़ा ने बताया कि गुरुदेव के प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 बजे होंगे। प्रवचन सभा में नवल किशोर जैन, गणपतलाल जैन, राजवीर जैन, शंभू जैन, मनोज जैन, मिठ्ठनलाल जैन मौजूद रहे।
अपने से आगे चलने वाले की विनय करो : सुधा सागरजी
चंद्रोदय तीर्थ क्षेत्र चांदखेड़ी जैन मंदिर खानपुर में चल रहे प्रवचन सभा में निर्यापक मुनि पुंगव सुधासागरजी महाराज ने कहा कि रास्ता मिल जाए तो भी उस मार्ग पर मत चलो। अच्छी वस्तु मिल जाए तो लेने का भाव मत करो। शोध करने के बाद भी वैज्ञानिक बनने की चेष्टा मत करो। जल्दी लेने का भाव नहीं करना चाहिए। अपने से आगे चलने वाले, अपने गुरू, बड़ों का विनय करना चाहिए।
तेरापंथी समाज ने की क्षमा- याचना
का हटना, यही उत्तम मार्दव धर्म है। मनुष्य में मान का इतना मद है कि वो स्वयं को इसमें उलझा देता है। उसका नशा इतना होता है कि अब उस मान के खातिर वह उसी में डूबा रहता है। उत्तम मार्दव धर्म को बहुत से उदाहरण के साथ बहुत ही सरल तरीके से उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया। श्रावकों ने जयकारा लगाकर अनुमोदना की।
इसके बाद सभी मुनिराजों और आर्यिकाओं की आहार चर्या के लिए पडग़ाहन हुआ। दोपहर में तत्वार्थ सूत्र की कक्षाएं चल रही है। जिसमे समाजबंधु भाग ले रहे हैं। सांयकालीन बेला मे भगवान की आरती के बाद गुरुदेव की संगीतमय आरती हुई। संगीतकार पुष्पेन्द्र जैन ने पंच परमेषठी की आरती हुई। रात्रि 8 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। वीरेन्द्र मारवाड़ा ने बताया कि गुरुदेव के प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 बजे होंगे। प्रवचन सभा में नवल किशोर जैन, गणपतलाल जैन, राजवीर जैन, शंभू जैन, मनोज जैन, मिठ्ठनलाल जैन मौजूद रहे।
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