निवेश को आकर्षित करने में आखिर क्यों पीछे है राजस्थान ?

  • महाराष्ट्र, यूपी और कई राज्यों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा
  • विभिन्न सूचकांकों में प्रदेश की गिरती रैंकिंग राज्य के लिए निराशाजनक
  • नौकरशाही, विशेष रूप से उद्योग और वित्त को संभालने वालों को होना होगा अधिक सक्रिय

खरी- खरी : अनिल शर्मा

दुनिया भर में कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के कारण लोगों के जीवन, व्यापार, काम काज के तरीके या दूसरों लोगों के साथ संवाद में उत्पन समस्याएं व व्यवधान अब एक नये तरह के बदलाव की ओर अग्रसर है। लंबे समय तक चलने वाली विघटनकारी घटनाएं परिणामों के साथ नये बदलाव की शक्ति रखती हैं। भारत के वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने की संभावना परिवर्तन के ऐसे ही एक प्रगतिशील मार्ग की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है। कई देश व कंपनियां अपने विनिर्माण अड्डों को चीन से बाहर स्थानांतरित करना चाह रहे है। ऐसे में भारत के लिए उत्साहजनक अवसर और स्वर्णिम मौका है इन्हें आमंत्रित करने का। इन परिस्थितियों के मद्देनजर अब भारत के कई राज्य विशेष रूप से जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों से एफडीआई को आकर्षित करने के लिए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते नजर आ रहे हैं।

इस सब में राजस्थान कहाँ है? राजस्थान के अलवर जिले में नीमराणा में जापान के लिए पहला समर्पित देश-विशिष्ट क्षेत्र का दावा करने वाला राज्य क्या अब निवेश को बहुत अधिक आकर्षित कर पा रहा है? शायद नहीं !! मुख्य रूप से इसकी वजह राज्य में धरातल पर कोई ठोस कदम नहीं उठाना है। राजस्थान में क्या नौकरशाही ऐसे अवसरों के लिए प्रयास बंद कर चुकी है ? क्या राजस्थान इन अवसरों को अपने हाथो से यूं ही जाने देगा ? खासकर ऐसे माहौल में जब निवेश आकर्षित करने के लिए कई राज्यों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा चरम पर है, क्या राजस्थान भी इन के लिए रेड कारर्पेट बिछाएगा, कंपनियों को लुभाएगा और उन्हें राजस्थान में आधार स्थापित करने के लिए मनाएगा? वास्तव में, वर्तमान में राजस्थान में एक उदास और शांत परिदृश्य देखने को मिल रहा है । राज्य में नौकरशाही के पास निवेश को आकर्षित करने के लिए कोई विशेष योजना या कार्यवाही नजर नहीं आ रही है, इसके विपरीत नौकरशाह जैसे गहरी नींद की स्थिति में नजर आ रहे हैं।

कुछ हजार करोड़ रुपये के कुछ समझौता (एमओयू) आदि पर हस्ताक्षर करने के अलावा, राजस्थान सरकार पिछले कुछ वर्षों में ज्यादा निवेश आकर्षित नहीं कर पाई है। ऐसा क्यों है? क्या इसका मुख्य कारण राज्य में विपणन और ब्रांडिंग की कमी है। देखा जाए तो महाराष्ट्र, यूपी और कुछ अन्य राज्य इसे बेहतर तरीके से कर पाए हैं और निवेश को आकर्षित करने में सक्षम हुए हैं।

निवेश को आकर्षित करने में सबसे पहली सीढ़ी सुशासन की है जो सार्वजनिक और निजी व्यवसाय दोनों के संचालन के लिए रूपरेखा तैयार करने वाले नियमों और संस्थानों के उचित कामकाज को दर्शाता है। हाल ही के विभिन्न सूचकांकों में प्रदेश की गिरती रैंकिंग स्थिति की बदतरता और राज्य के लिए निराशाजनक तस्वीर पेश करती है।
SKOCH स्टेट ऑफ़ गवर्नेंस इंडेक्स, 2019 राज्य को 2018 में चौथी रैंक से 12 वें स्थान पर खिसकने को दर्शाता है। यह 2017 में पहले स्थान पर रहा। नवीनतम वार्षिक SKOCH राज्य शासन रैंकिंग सुशासन के विभिन्न स्तरों पर कार्यक्रमों और परियोजनाओं के स्वतंत्र अध्ययन और मूल्यांकन पर आधारित है। प्राथमिक डेटा और जमीनी स्तर के हस्तक्षेपों पर ध्यान देना इसे अद्वितीय बनाता है। राज्यों की तुलनात्मक तस्वीर पेश करने के अलावा, SKOCH स्टेट ऑफ़ गवर्नेंस अध्ययन एक व्यापक क्षेत्र-वार विश्लेषण भी देता है।

यह सूचकांक कृषि और संबद्ध, वाणिज्य और उद्योग, मानव संसाधन विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक अवसंरचना और उपयोगिताओं, आर्थिक शासन, सामाजिक कल्याण और विकास, न्यायिक और सार्वजनिक सुरक्षा, पर्यावरण और नागरिक केंद्रित शासन जैसे 10 क्षेत्रों को ध्यान में रख कर विश्लेषण करता है। भले ही इस सूचकांक में राजस्थान सिंचाई में 1 वें स्थान पर, शिक्षा में 3 वें, कौशल विकास में 2 वें, महिलाओं और बाल विकास में 1 वें और स्वच्छता में 4 वें स्थान पर था मगर बाकि सभी क्षेत्रों में रैंक खराब रहा। बेरोजगारी में भी राजस्थान का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। अगर बेरोजगारी के बारे में सीएमआईई की हालिया रिपोर्ट पर नजर डालें तो राजस्थान में बेरोजगारी दरओर शीर्ष राज्यों में एक बड़ा अंतर है।

गहलोत को निराश कर रहे नौकरशाह!
ताजुब की बात है कि यह सब उस समय हो रहा है जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उत्तरदाताओं की संतुष्टि रैंक के आधार पर जून 2020 में नवीनतम सी वोटर सर्वेक्षण में देश के शीर्ष दस मुख्यमंत्रियों में स्थान दिया गया है। एक दूरदर्शी नेता, एक लोकप्रिय जन नेता, उच्च अनुमोदन रेटिंग प्राप्तकर्ता और कोविड-19 संकट से कुशल व्यवस्था के बाद चौतरफा सराहना मिली हों ऐसी जिम्मेदार सरकार, और उनका राज्य शासन को लेकर खराब रैंक रखता है, तो जाहिर है कि वह एक ऐसे नौकरशाही का नेतृत्व करता है जो उसे निराश कर रही है। इसलिए जब तक नौकरशाही के सुस्त दृष्टिकोण और उनकी जिम्मेदारी की निरंतर मॉनिटरिंग नहीं की जाती है, तब तक राजस्थान शासन और अन्य महत्वपूर्ण विकास मापदंडों व ऐसे सूचकांकों में ऊध्र्वाधर गिरावट के साथ काफी नीचे तक गहरा गोता लगा सकता है।
इसलिये जागो !!… राजस्थान को जगाओ, विकास के लिए बहुत प्रतिस्पर्धा है। निवेश को आकर्षित करने के लिए नौकरशाही, विशेष रूप से उद्योग और वित्त को संभालने वालों को अधिक सक्रिय होना पड़ता है, निवेश के लिए अनुकूल पैकेज व निवेशकों के लिए लाल कालीन बिछा स्वागत की सुदृढ़ योजना को अमलीजामा पहनाना जरुरी हैं। युवा पीढ़ी भी फोज तकाजा करने को तैयार खड़ी है।

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