वर्ल्ड लीवर डे स्पेशल: लीवर संबंधित परेशानियों की समय पर पहचान ही कैंसर से बचाव

जयपुर। शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में शामिल लीवर के स्वस्थ ना होने पर कई तरह की बीमरियों की शुरूआत हो जाती है। शरीर के गंदगी को शरीर से बाहर निकालने और और खून का साफ करने वाले लीवर पर जीवनषैली का सीधा प्रभाव पड़ता है। लीवर से जुड़ी परेषानियां नजर अंदाज करना कैंसर का कारण बन सकता है। कैंसर विशेषज्ञ डॉ अजय बापना ने बताया कि लीवर के अस्वस्थ होने पर लक्षण अगर स्थाई हो अत: लंबे समय तक ठीक ना हो तो ऐसे में कैंसर रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

इन लक्षणों की पहचान है जरूरी: पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, पेट में सूजन, आंखों और त्वचा का पीला पडऩा, बुखार, थकान, दुर्बलता, पीला या भूरा रंग का मूत्र, भूख ना लगना, मतली या उल्टी, अचानक वजन का घटना। यह सभी लक्षण लीवर कैंसर के है जो लीवर के अस्वस्थ होने को दर्षाते हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक ठीक ना हो कैंसर रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।

एडवांस स्टेज में हो रही पहचान: डॉ बापना ने बताया कि जागरूकता की कमी के चलते रोगी को लीवर कैंसर की पहचान रोग के बढ़ जाने के बाद (एडवांस स्टेज) होती है। यही कारण है कि इस रोग में मृत्युदर अधिक है। ग्लोबोकैन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 34,743 लीवर कैंसर के रोगी दर्ज होते है। वहीं इस कैंसर से साल में 33,793 लोगों की मृत्यु हो रही है।