8921. बंधी बुहारी लाख की

  • कागो तो लाखां बिकै, कोठी बिकै करोड़।
  • बंधी बुहारी लाख की, खुल्लियां पाछै और।।


कौआ तो लाखों रूपये में बिकता है, लेकिन कोठी करोड़ रूपये बिकती है। समझने की बात यह है कि बंधी हुई बुहारी लाख रूपये की होती है, लेकिन जब वह खुल जाती है तो फिर उसकी कोई कीमत नहीं होती है। कारण, तब किसी काम की नहीं रहती है।
एक सेठ के अत्यंत ही सुंदर पत्नी थी। उसका किसी दूसरे सेठ के लड़के से अन्यथा संबंध हो गया। एक दिन उन दोनों ने मिलकर उस सेठ को घर से दूर रखने का उपाय सोचा। सेठानी ने एक कौआ मंगवाया और फिर उसे सेठ को देकर कहा कि मैं तो आपको सच्चा सेठ तब मानूंगी, जब आप इस कौए को एक लाख रूपये में बेचकर आएंगे। इससे कम रूपयों में हरगिज नहीं बेचना है।

सेठ ने कहा कि तब तो मुझे परदेश जाना पड़ेगा, क्योंकि एक लाख रूपये में इसका खरीदार यहां नहीं मिल सकता। सेठ उस कौए को लेकर परदेश रवाना हो गया। पीछे सेठानी और उसका प्रेमी आनंद से दिन काटने लगे। घूमता-घूमता सेठ महानगर में जा पहुंचा। वहां वह कौआ ले लो-कौआ ले लो की आवाज लगाता हुआ जब एक सेठ की हवेली के सामने से गुजर रहा था, तो सेठ के बेटे की बहू ने देखा। कौआ बेचते देख वह भांप गई कि मामला कुछ गड़बड़ है। उसने दासी के जरिये उसे बुलाया और कौए का मूल्य पूछा।

एक लाख रूपये सुनते ही वह समझ गई कि यह त्रिया चरित्र का मामला है। सेठ की पुत्र वधू ने एक लाख रूपये तो उसी समय दे दिए, लेकिन उसे अपना धर्म भाई बना लिया। फिर बोली कि भाई, मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चलकर भौजाई से भी मिलना चाहती हूं। अत: तुम मुझे अपने घर ले चलो। दोनों महानगर से चल कर गांव आए। गांव के पास रात तक भोजन आदि बनाने ठहर गए। रात के समय गांव में प्रवेश करके घर पहुंचे सेठ के घर में प्रवेश करते ही वह बहन तो सीधी सेठानी के शयनकक्ष में पहुंच गई। उसका प्रेमी वहीं था। सेठानी ने तुरंत उसे कोठी में छिपा दिया।

बहन उसको न पाकर समझ गई कि कोठी में छिपाया होगा। वह दौड़कर कोठी से लिपट गई और कहने लगी कि भाई, यह तो मां की निशानी है, इसे मैं ले जाऊंगी। सेठानी घबरा गई और उसने अपने प्रेमी को निकालने का कोई उपाय न देखकर सेठ के पुत्र के घर समाचार भेज दिया कि उनका लड़का इस प्रकार फंस गया है। तब सेठ दौड़ा-दौड़ा आया और बोला कि इसे तो मैंने खरीदना तय कर रखा है, अत: इसे तो मंै लूंगा। उसने कीमत लगानी शुरू की और आखिर में एक करोड़ रूपये देकर वह कोठी उसी समय अपने घर ले गया। इस तरह उसका प्रेमी बचा। अगले दिन बहन ने उसे संकेत में कहा कि न कौआ एक लाख रूपये में बिक सकता है और न ही कभी कोठी के एक करोड़ रूपये मिल सकते हैं। बिगाड़ में कुछ नहीं रखा है। बिगाड़ होने पर बदनामी ही होती है। और सेठानी को बात समझ में आ गई।