
- देख जियै पण दै न कछु, कौडी खरच न खाय।
- जाचक देख्यां जळ मरै, मांगै तो मर जाय।।
जो धन को देखकर जीता है, लेकिन किसी को कुछ भी नही देता और तो और कौडी तक खर्च करके नहीं खाता। मांगने वाले को देखकर जल मरता है। और कोई यदि मांग ले तो मर तक जाता है। एक बनिया अत्यधिक लोभी था। पति पत्नी दो ही व्यक्तियों का छोटा सा परिवार था। प्रति दिन केवल चार रोटियां ही बनती थी। शाक भाजी का नाम भी नहीं होता था। दूसरी बार चूल्हा नही जल सकता था। बनिया तीन रोटी स्वयं खाता और एक रोटी पत्नी को देता था। भला एक रोटी से कभी भूख शांत होती है। पत्नी भूखी रहती थी और भूख से कराहने लगती थी। आखिर इस दुख से व्यथित होकर एक दिन वह पानी में डूब मरी।
बनिये के पास अनाप शनाप धन था, अत उसका दूसरा विवाह भी सहज हो गया। जो व्यवहार पहली पत्नी के साथ करता था, वही दूसरी के साथ भी बनिया करने लगा। दूसरी पत्नी ने उसे समझाया, लेकिन उस पर कोई असर नहीं देता था। एक रोटी से अधिक उसे भी खाने को नहीं देता था। आदमी भूखे पेट आखिर ढंढ ही लिया। एक दिन जब वह रोटियां पका कर उठी तो उसने रोटियां कहीं छिपा दी। बनिया खाना खाने बैठा तो उसने तीन की बजाय दो ही रोटियां परोसी। यह देखकर बनिये की त्यौरियां चढ गई। उसने पत्नी से एक रोटी और मांगी तो उसने देने से साफ इनकार कर दिया। तब बनिये ने धमकी भर स्वर में उससे कहा कि यदि मुझे तीसरी रोटी नहीं मिली तो मैं सांस खींचकर मर जाऊंगा। पत्नी ने भी उसकी चुनौती का सामना करते हुए कह दिया कि कोई बात नहीं, सुहाग के बिना भी मेरा काम चल जाएगा।
यदि खाना हो तो दो रोटियां खा लो, नहीं तो चाहे जैसा करो। मुझसे प्रति दिन भूख सही नहीं जाती। अब मैं दो रोटियां खाया करूंगी। बनिया रोष में उठा और एक ओर जाकर सांस खींचकर लेट गया। पत्नी ने भी हाय राम की नकली टेर शुरू कर दी। उसकी आवाज सुनकर पास पड़ोस के लोग इकठटा हो गए। उन्होंने समझा कि बनिया मर गया है। लोग उसके अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। अर्थी का सामान लाया गया और बनिये को अर्थी पर लिटा दिया गया।
अर्थी को ले जाने से पहले उसकी पत्नी अर्थी के पास आई और धीरे से बोली कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, दो रोटी खा लो। लेकिन बनिये ने मना कर दिया। इसके बाद लोग उसकी अर्थी लेकर श्मशान में पहुंचे। चिता सजायी गई और उस पर अर्थी रख दी गई। जैसे ही आग लगायी गई, बनिय के होश फाख्ता हो गए। वह अर्थी से उठकर दौड़ता हुआ चिल्लाया कि दो खाऊंगा, दो खाऊंगा। मुर्दे की आवाज सुनकर सभी लोग डर गए और एक दूसरे के आगे भागने लगे। सभी मन में यही सोचने लगे कि बनिया भूत हो गया है, अत: अपने में से किन्हीं दो को अवश्य खाएगा। सभी लोग ज्यों त्यों उससे बचकर अपने अपने घर पहुंचे। बनिया भी अपने घर पहुंचा। पत्नी से उसने माफी मांगी और दो रोटियां खाने के लिए तैयार हो गया।