
लालच री दौड़े लहर, भवन वियां धन भाळ।
बैठो थावर बारमो, कांधै आण कराळ।।
मनुष्य में धन संपति देखकर आकर्षण देख कर लालच की लहर दौड़ पड़ती है। वह लालच के वशीभूत हो जाता है और यह नहीं सोचता है कि उसके कंधे पर बारहवां शनि आकर बैठ गया है जो बड़ा भयंकर है। एक राजा ने एक दिन अपने मंत्री से पूछा कि मंत्रीजी पाप का बाप कौन है? मंत्री इसका कोई उतर नहीं दैसका, उसने राजा से इसके लिए मोहलत मांगी। राजा ने मंत्री को एक महिने की मोहलत दे दी। मंत्री उदास मुंह घर आ गया। उसने राजा के प्रश्न का उतर सोचने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे कोई उतर सूझा। प्रश्न ही कुछ ऐसा ही था। मंत्री ने तय किया कि इस प्रश्न का उतर पाने के लिए इधर उधर घूमं, शायद कहीं इसका उतर मिल जाए।
घर पर पड़े रहने से तो कोई उतर मिलना है नहीं। अत वह घर से निकल पड़ा और इधर उधर घूमने लगा। घूमते घामते वह एक वेश्या के घर पहुंच गया। जब मंत्री ने अपना प्रश्न बताकर उसके उतर के लिए वेश्या से बात की तो वेश्या बोली कि मैं तुम्हारे प्रश्न का उतर दूंगी, लेकिन उसके लिए तुम्हें मेरे घर रहना होगा। मंत्री जाति से ब्राहृाण था और वेश्या के घर नहीं रहना चाहता था, क्योंकि उसके घर रहने पर उसके यहां का भोजन भी करना पड़ता। लेकिन जब वेश्या ने कहा कि जब तुम यहां रहोंगे, तभी मैं तुम्हें तुम्हारी बात का उतर दूंगी तथा राजा तुम्हें जितनी तनख्वाह देता है, उससे अधिक मैं दूंगी। फिर यहां रहने में क्या समस्या है?
मंत्री वहीं टिक गया और उस वेश्या के घर खाने पीने लगा। एक दिन वेश्या ने शराब मंगवाई और मंत्री से शराब पीने के लिए कहा। मंत्री ने पहले तो इनकार किया, लेकिन वेश्या के लालच देने पर उसने शराब पीली फिर इसी प्रकार लालच के वशीभूत होकर उसने मांस भी खा लिया। तब एक दिन वेश्या ने मंत्री को अपने पास बुलाया और लालच देकर उसे अपनी सेज पर सोने के लिए राजी कर लिया। लेकिन जैसे ही मंत्री सेज पर चढने लगा, वेश्या ने उसके गाल पर एक तमाचा जड़ दिया और कहा कि यह क्या कर रहे हो? मंत्री तमाचा खाकर हक्का बक्का रह गया। तब वेश्या ने कहा कि तुम नाराज मत होना, मैंने तो तुम्हारे प्रश्न का उतर दिया है। तब मंत्री ने पूछा कि क्या उतर दिया? वेश्या ने स्पष्ट करते हुए कहा कि तुम जाति से ब्राहृाण हो, लेकिन तुम ने लोभ के वशीभूत होकर शराब पी मांस खाया और अब वेश्यागमन के लिए भी तैयार हो गए। अत कहा जाएगा कि लोभ ही पाप का बाप है। मंत्री को अपने प्रश्न का उतर मिल गया और वह अपने घर लौट आया। अगले दिन राजा के सामने उपस्थित होकर उसने उतर बता दिया। राजा उसका उतर सुनकर संतुष्ट और प्रसन्न हुआ।